चुनावी बॉन्ड के डिटेल पर बीजेपी को झटके वाली बात को पीएम मोदी ने किया खारिज, कहा-कोई सिस्टम पूरी तरह से सही नहीं

चुनावी बॉन्ड के डिटेल पर बीजेपी को झटके वाली बात को पीएम मोदी ने किया खारिज, कहा-कोई सिस्टम पूरी तरह से सही नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी बॉन्ड के मुद्दे से उनकी सरकार को झटका लगने की बात खारिज करते हुए कहा कि कोई भी सिस्टम पूरी तरह से सही नहीं है और खामियों को दूर किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर हंगामा करने वाले लोगों को पछतावा होगा.

लोकसभा चुनाव : कांग्रेस के सभी अकाउंट फ्रीज, राहुल बोले-हम चुनाव प्रचार तक नहीं कर पा रहे

लोकसभा चुनाव : कांग्रेस के सभी अकाउंट फ्रीज, राहुल बोले-हम चुनाव प्रचार तक नहीं कर पा रहे

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर अपनी बात सामने रखी है. कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकतंत्र के लिए निष्‍पक्ष चुनाव होना जरूरी है. कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा कि निष्‍पक्ष चुनाव के लिए लेवल प्‍लेइंग फील्‍ड होना जरूरी है.

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, SBI को गुरुवार तक सभी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, SBI को गुरुवार तक सभी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश

इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को एक बार फिर से कड़ी फटकार लगाई है.

बीजेपी को चुनावी बॉन्ड से मिला करीब 7000 करोड़ का चंदा, जानें कांग्रेस और दूसरी पार्टियों का हाल

बीजेपी को चुनावी बॉन्ड से मिला करीब 7000 करोड़ का चंदा, जानें कांग्रेस और दूसरी पार्टियों का हाल

भाजपा ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए और पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपये मिले. निर्वाचन आयोग (ईसी) के आंकड़ों में यह बात सामने आई है.

चुनाव आयोग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI नोटिस जारी कर कहा- बॉन्ड नंबर का खुलासा करो

चुनाव आयोग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI नोटिस जारी कर कहा- बॉन्ड नंबर का खुलासा करो

लेक्टोरल बॉन्ड मामले को लेकर चुनाव आयोग की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई. सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसबीआई को फिर से नोटिस जारी किया और इलेक्टोरल बॉन्ड नंबर का खुलासा करने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद SBI ने चुनाव आयोग को सौंपा इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा, जल्द होगा सार्वजनिक

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद SBI ने चुनाव आयोग को सौंपा इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा, जल्द होगा सार्वजनिक

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने आज यानी मंगलवार को इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड की समयसीमा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

SBI को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट में दायर चुनावी बांड वाली याचिका ख़ारिज, कल शाम तक डेटा देने का आदेश

SBI को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट में दायर चुनावी बांड वाली याचिका ख़ारिज, कल शाम तक डेटा देने का आदेश

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की समय बढ़ाने वाली अर्जी को खारिज करते हुए 12 मार्च को शाम तक अपना सारा डेटा सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग के हवाले करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चुनावी बॉन्‍ड भी RTI के दायरे में, पार्टियों को पैसा कहां से आता है जानकारी देना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चुनावी बॉन्‍ड भी RTI के दायरे में, पार्टियों को पैसा कहां से आता है जानकारी देना जरूरी

इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि देश के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है. सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने कहा कि कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बॉन्‍ड सूचना के अधिकार (RTI) और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है.

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चुनावी बॉन्‍ड भी RTI के दायरे में, पार्टियों को पैसा कहां से आता है जानकारी देना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चुनावी बॉन्‍ड भी RTI के दायरे में, पार्टियों को पैसा कहां से आता है जानकारी देना जरूरी

इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि देश के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है. सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने कहा कि कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बॉन्‍ड सूचना के अधिकार (RTI) और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है.