भारत माता तुम व्यथित ना हो तुम्हे हम पर गर्व तो है ना
बेसुध पीड़ा तुमको होती अहसास तो हमको है ना
कर्मठी साहसी बच्चे हम हमको तुम आशिष दो ना
भारत माता तुम व्यथित ना हो तुम्हे हम पर गर्व तो है ना
सत् सत् है नमन सत् सत् प्रणाम भारत की धरा मिट्टी को
हर इन्सान ह्रदय से कोमल नदियाँ भी सुकोमल है ना
गौरव भारत का बढ जाये कुछ ऐसा क्रत्य करो ना
भारत माता तुम व्यथित ना हो तुम्हे हम पर गर्व तो है ना
हम वीर महान विजेता बनकर भू मण्डल पर चमके
हम बने विवेकानन्द हमे ऐसी सद्बबुद्धि दो ना
प्रफ़ुल्लित हो कोना कोना जग का ये त्रास हरो ना
भारत माता तुम व्यथित ना हो तुम्हें हम पर गर्व तो है ना
होने ना दू अब प्रलय भूमि पर यह संकल्प हमारा
सौन्दर्य प्रकाशमान होवे भारत का कोना - कोना
चमत्कार ऐसा दुनियां मे फिर से एक बार करोना
भारत माता तुम व्यथित ना हो तुम्हें हम पर गर्व तो है ना
व्याकुल बेचैन व्यथित हो शायद यह अहसास हमे भी
मनमोहक शीतल मन्द हवा ऐसा प्रकृति कर दो ना
हम सब साहस संघर्ष करे तुम हमको आशीष दो ना
भारत माता तुम व्यथित ना हो तुम्हें हम पर गर्व तो है ना