लखनऊ : आंखे हमारे शरीर का अहम् पार्ट होता है. इससे हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली गतिविधियों और दुनियाभर को देखते हैं. ऐसे में आंख का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. आज के समय में आंखों से जुड़ी कई तरह की नई बीमारियां होने लगी. इसमें एक है ग्लूकोमा ? ग्लूकोमा ऐसी बीमारी है जो हमें हो जाता है और हमे पता भी नहीं चलता है. आज उसी के बारे में हमारे संवाददाता स्वाति चंद्रा ने आई स्पेशलिस्ट डॉ. अमित अग्रवाल से बात की है...आइये जानते हैं इसके लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में.
काला मोतिया या ग्लूकोमा में क्या अंतर है?
आई स्पेशलिस्ट डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि काला मोतिया और ग्लूकोमा ये एक ही बीमारी है. ये आंखों का ऐसा रोग है जिसे हम Silent Thief Of Vision भी कहते हैं. ये आँखों का एक ऐसा रोग है जिसमे नेत्र संबंधी तंत्रिका धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगती है. ज्यादातर मरीजों में उनके पता चले बिना उनकी दृस्टि पूरी तरह से बाधित हो सकती है. पूरी दुनिया में मोतियाबिंद के बाद ग्लूकोमा या काला मोतिया दृस्टि जाने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है.
काला मोतिया और मोतियाबिंद में क्या अंतर है?
डॉ. अमित अग्रवाल के मुताबिक मोतियाबिंद एक लेंस की बीमारी है, जबकि काला मोतिया नेत्र संबंधी तंत्रिका बीमारी है. मोतियाबिंद में लेंस की पारदर्शिता समाप्त हो जाती है जिससे दृस्टि बाधित होती है. मोतियाबिंद में हम सर्जरी करके लेंस चेंज कर देते हैं मनुष्य पहले की तरह साफ़ देखने लगता है जबकि ग्लूकोमा और काला मोतिया में दिखना बंद हो जाता है. ग्लूकोमा और काला मोतिया हमारे आंखों आंतरिक दबाव इंट्राओकुलर दबाव बढ़ा रहता है.
काला मोतिया का प्रकार
काला मोतिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है. पहला ओपन-एंगल ग्लूकोमा और दूसरा है नैरो-एंगल ग्लूकोमा.
ओपन-एंगल ग्लूकोमा
इसमें आंख के अंदर तरल पदार्थ का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान होता है. इसकी शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखते, इसलिए इसे "दृष्टि का मूक चोर" भी कहा जाता है.
नैरो-एंगल ग्लूकोमा
इसमें आंख के अंदर दबाव अचानक बढ़ जाता है, जिससे तेज दर्द और धुंधली दृष्टि होती है.
जन्मजात ग्लूकोमा
इसके बारे में बताया गया है कि यह जन्म के समय या जन्म के बाद जल्द ही विकसित हो सकता है.
सेकेंडरी ग्लूकोमा
यह अक्सर किसी चोट या शुगर के बाद उत्पन्न बीमारी के कारण हो सकता है.
काला मोतिया लक्षण
डॉ. अमित अग्रवाल के अनुसार ज्यादातर मरीजों में काला मोतिया लक्षण नहीं होते हैं. लेकिन कभी कभी किसी में ये लक्षण दिख जाते हैं. इनमे आंखों और सिर में तेज दर्द होना, नज़र कमजोर होना या धुंधला दिखाई देना, आंखें लाल होना, रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखाई देना, जी मचलाना, उल्टी होना जैसी समस्या हो सकती हैं.
काला मोतिया की जांच किया होती है?
काला मोतिया (ग्लूकोमा) की जांच के लिए, डॉक्टर कई तरह के परीक्षण करते हैं, जिनमें आँखों के अंदर के दबाव, ऑप्टिक नर्व की जांच, और दृष्टि क्षेत्र की जांच शामिल हैं.
गोनियोस्कोपी
इस परीक्षण में, डॉक्टर एक विशेष लेंस और स्लिट लैंप का उपयोग करके आँखों के ड्रेनेज एंगल का मूल्यांकन करते हैं.
ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी
यह एक इमेजिंग टेस्ट है जो लो-पॉवर लेजर बीम का उपयोग करके आँखों के पीछे मौजूद ऑप्टिक नर्व और रेटिना की इमेज निकालता है.
ऑप्थाल्मोस्कोपी
डॉक्टर स्लिट लैंप नामक एक माइक्रोस्कोप का उपयोग करके आंखों के अंदर की जांच करते हैं.
इन लोगों में काला मोतिया और ग्लूकोमा का रहता है खतरा
उम्र बढ़ने पर ग्लूकोमा का रिस्क बढ़ता है. काला मोतिया (ग्लूकोमा) किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में, खासकर 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में, इसकी संभावना अधिक होती है. 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को हर साल इसकी जांच करानी चाहिए. शुगर के मरीजों में ये ज्यादा होता है. जिन लोगों को आंखों में कभी गंभीर चोट लगी उनमे भी इसके बढ़ने की संभावना अधिक रहती है. जिन लोगों के आंखों का नंबर बार-बार बढ़ता है उनमे भी ग्लूकोमा के बढ़ने का रिस्क ज्यादा रहता है.
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का इलाज
काला मोतियाबिंद या ग्लूकोमा का उपचार का प्रारंभिक उपचार प्रिस्क्रिप्शन आई ड्रॉप है। आमतौर पर काला मोतियाबिंद की समस्या होने पर सबसे पहले नियमित रूप से आई ड्रॉप डालने की सलाह दी जाती हैं:
प्रोस्टाग्लैंडिंस : यह आई ड्रॉप आंखों के तरल पदार्थ के बहिर्वाह को बढ़ाता है, जिससे इंट्राओकुलर दबाव कम होता है।
बीटा ब्लॉकर्स : बीटा ब्लॉकर आई ड्रॉप आंखों के तरल पदार्थ के उत्पादन को रोककर काम करता है, जिससे आंखों का दबाव कम होता है।
अल्फा : एड्रीनर्जिक एगोनिस्ट- ये आई ड्रॉप आंखों के तरल पदार्थ के उत्पादन को कम करते हैं और साथ ही साथ बहिर्वाह दर को बढ़ाते हैं।
(देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते है)