नई दिल्ली : व्हाइट बटर, येलो बटर के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा, लेकिन अब बाजार में ऐसा बटर आने वाला है, जो हवा से बनेगा. ये बटर हवा से बनेगा और इसे बनाने में दूध का यूज नहीं होगा, बल्कि हवा का इस्तेमाल होगा. खास बात ये है कि जिस कंपनी ने ये खास बटर बनाने का दावा किया है, उसका कनेक्शन दुनिया के अमीर व्यक्तियों में से एक बिल गेट्स से भी है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये कंपनी किस फार्मूले से हवा से बटर बनाने जा रही है और इसका बिल गेस्ट से क्या कनेक्शन है...
किस कंपनी ने किया है दावा?
ये दावा कैलिफोर्निया की एक कंपनी ने की है, जिसका नाम है सवोर ये स्टार्टअप है और कंपनी का दावा है कि वो डेयरी फ्री बटर बना रही है, जिसका स्वाद असली बटर जैसा ही है. इस कंपनी ने बिना दूध और डेयरी प्रोडक्ट के आइसक्रीम, पनीर आदि के विकल्प बनाए हैं और अब इसमें बटर भी शामिल हो गया है. कंपनी अब बिना डेयरी-प्रोडक्ट के बटर बनाने का दावा कर रही है और इसका टेस्ट असली बटर जैसा ही होगा.
कैसे बनेगा हवा से बटर?
आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये कैसे संभव होगा, तो जानते हैं कंपनी किस तरह बिना दूध बटर बना रही है. कंपनी इस बटर को बनाने के लिए थर्मोकेमिकल प्रोसेस का इस्तेमाल करती है, जिसके जरिए कार्बन डाइ ऑक्साइड, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को कंबाइन करके बटर बनाया जा सकता है. यानी इसे बनाने में वो ही कॉम्पोनेंट शामिल किए जाएंगे, जो हवा से मिल सकते हैं. कंपनी ना सिर्फ रियल टेस्ट वाला बटर बना रही है, बल्कि इसके साथ ही ये पर्यावरण के नजरिए से भी काफी फायदेमंद है.
कंपनी के अनुसार, उनके प्रोडक्ट्स में डेयरी प्रोडक्ट वाले बटर की तुलना में काफी कम कार्बन फुटप्रिंट होगा, जो कि प्रति किलोग्राम में सिर्फ 0.8 ग्राम है. वहीं, इसके विपरीत 80 फीसदी फैट वाले अनसॉल्टेड बटर में एक किलोग्राम में 16.9 किलोग्राम फुटप्रिंट होता है.
कब से बाजार में आएगा?
इस बटर के बाजार में आने को लेकर कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव कैथलीन एलेक्जेंडर का कहना है कि अभी इसे बेचना शुरू नहीं किया गया है और इसे बेचने के लिए अप्रूवल लेने के फेज में हैं. अभी साल 2025 तक इसे बेचने की उम्मीद नहीं कर रहे है.
बिल गेट्स से क्या है कनेक्शन?
बिल गेट्स से कनेक्शन की बात करें तो इस स्टार्टअप को बिल गेट्स का सपोर्ट है और बिल गेट्स ने भी इस आइडिया का समर्थन किया है. बिल गेट्स का भी कहना है कि लैब में बने फैट और तेलों पर स्विच करना पहले तो थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इससे कार्बन फुटप्रिंट को बड़ी मात्रा में घटाया जा सकता है. कुछ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके हम पर्यावरण के प्रति अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सफल हो सकते हैं.