नई दिल्ली : भारत में काफी समय से सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. हालांकि, नवंबर में गोभी, टमाटर और लोकी सहित बहुत सी सब्जियों के दाम मासिक आधार पर चार फीसदी से ज्यादा कम हुए हैं, लेकिन प्याज का भाव अब भी लोगों के आंसू निकाल रहा है. 6 नवंबर को लासलगांव प्याज मंडी में प्याज का थोक भाव पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. ICICI बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्याज की कीमत में जल्द राहत की उम्मीद भी नहीं है.
रिपोर्ट के मुताबिक, “हालांकि सब्जियों की कीमतों में नवंबर में कुछ कमी आई है, लेकिन प्याज की कीमतें अब भी ऊंची बनी हुई हैं.” अगस्त और सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण आपूर्ति में बाधा आई, जिससे मंडियों में सब्जियों की आवक में 28 प्रतिशत की कमी हुई. इसका सबसे ज्यादा असर टमाटर की कीमतों पर पड़ा. अक्टूबर में मासिक आधार पर टमाटर की कीमतों में 49 फीसदी इजाफा हो गया.
पिछले 57 महीनों में सबसे अधिक बढ़ोतरी
अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में सालाना आधार पर 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले 57 महीनों में सबसे अधिक है. इस वृद्धि का मुख्य कारण टमाटर, आलू और प्याज जैसी जरूरी वस्तुओं की कीमतों में भारी उछाल को माना जा रहा है. टमाटर की कीमतें सालाना आधार पर 161 प्रतिशत बढ़ी हैं, जबकि आलू और प्याज की कीमतों में क्रमशः 65 प्रतिशत और 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची प्याज की कीमत
6 नवंबर को देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी, लासलगांव कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC) में बुधवार को प्याज की औसत थोक कीमत 5,656 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक थी. आखिरी बार 10 दिसंबर 2019 को प्याज की कीमतें इस स्तर पर थीं. बुधवार को लासलगांव APMC में प्याज की न्यूनतम और अधिकतम थोक कीमत क्रमशः 3,951 रुपये और 5,656 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई. सोमवार थी.