नई दिल्ली : इंडसइंड बैंक से संकट के बादल झटने का नाम नहीं ले रहे हैं. IndusInd Bank के CEO ने कुछ दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था और अब कंपनी ने बताया है कि मार्च तिमाही के दौरान उसे तगड़ा नुकसान होने वाला है. मार्च की आय में गलत अकाउंटिंग प्रोसेस से बैंक को 1,959.98 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, जिससे बैंक में उथल-पुथल मच गई है.
इन चीजों के सामने आने के बाद इंडसइंड बैंक पर छाए संकट को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है. यह डर है कि पिछले उदाहरण में यस बैंक, RBL Bank, लक्ष्मी विलास बैंक और ग्लोबल ट्रस्ट बैंक जैसा हाल ना हो जाए. कठपालिया का इस्तीफा बैंक द्वारा डेरिवेटिव में संभावित घाटे का खुलासा करने के लिए 1 महीने से भी ज्यादा समय बाद आया है.
क्यों इंडसइंड बैंक में आई दिक्कत?
यह मुद्दा पहली बार 10 मार्च को सामने आया, जब इंडसइंड बैंक ने खुलासा किया कि उसके डेरिवेटिव बुक में मार्क-टू-मार्केट (MTM) घाटे से दिसंबर 2024 तक उसके नेटवर्थ का 2.35% तक असर पड़ सकता है, जो लगभग 1,600 करोड़ रुपये है. आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेड के गलत अकाउंटिंग के कारण ये स्थिति पैदा हुई. लेकिन इसे छिपाया गया, ताकि बैंक के स्टॉक वैल्यू पर असर ना हो और स्टॉक की कीमत बढ़ती रहे. जब इसका खुलासा हुआ तो निवेशकों का भरोसा कम हो गया और स्टॉक वैल्यू में तेज गिरावट हुई है.
बैंक पर कितना बड़ा है संकट?
गलत अकाउंटिंग का खुलासा होने के बाद बैंक के शेयर ने अपनी वैल्यू का एक चौथाई से ज्यादा खो दिया है और निवेशकों को डर है कि इसमें और भी गिरावट आ सकती है. यह मुद्दा सामने आने के लगभग सात महीने बाद सीईओ का इस्तीफा इस बात को लेकर चिंता पैदा करता है कि अभी का ये नुकसान और बढ़ा सकता है?
कहीं यस बैंक जैसा संकट तो नहीं?
यस बैंक और इंडसइंड बैंक के बीच मुख्य अंतर यह है कि यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर सीईओ थे और बोर्ड और प्रबंधन पर उनका कंट्रोल था. जिसके बाद उन्होंने मनमाने तरीके से लोन बांटा और बैंक संकट में आ गया. इसके उलट, इंडसइंड के लिए, अब तक की विसंगतियां डेरिवेटिव बुक तक ही सीमित लगती हैं. ऐसे में Yes Bank जैसा संकट तो नहीं आ सकता.