मौजूदा समय में जहां एक तरफ हिंदी सिनेमा में भूल भुलैया 3 और स्त्री 2 जैसी हॉरर कॉमेडी फिल्म का बोलबाला देखने को मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ निर्माता एकता कपूर और निर्देशक धीरज शरण की द साबरमती रिपोर्ट भारत के ऐतिहासिक की ऐसी घटना की कहानी पर्दे पर लेकर आई है, जिसके बारे में बहुत कुछ लिखा, पढ़ा और सुना गया है।
2002 में गुजरात में हुए गोधरा ट्रेन हादसे से प्रेरित द साबरमती रिपोर्ट किस तरह की मूवी आइए इस रिव्यू में पढ़ते हैं। फिल्म के ट्रेलर में ये साफ हो गया था कि द साबरमती रिपोर्ट एक संवेदनशील मुद्दे को दर्शाती है। इसकी कहानी को सिल्वर स्क्रीन्स पर उतारने का मेकर्स ने साहस दिखाया है।
क्या है द साबरमती रिपोर्ट की कहानी ?
फिल्म की कहानी की शुरुआत इसी ट्रेन हादसे का सच जानने की जद्दोजहद से होती है। जिसमें हिंदी भाषा के पत्रकार समर कुमार (विक्रांत मैसी) और अंग्रेजी जर्नलिस्ट मनिका राजपुरोहित के बीच सच और झूठ की कशमकश दिखायी जाती है । लेकिन स्टोरी में असली मोड़ तब आता है, जब अमृता गिल (राशि खन्ना) की एंट्री होती है। जो समर की अधूरी कोशिश को नए पंख देने के लिए इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल करती हैं।
क्या समर और अमृता इस में सफल होते हैं। उसके लिए आपको ये फिल्म देखने पड़ेगी। हालांकि, बीच-बीच में फिल्म थोड़ा ट्रैक से उतरते हुए नजर आती है, क्योंकि बीच में द साबरमती रिपोर्ट दो लीग के पत्रकारों के वर्चस्व की लड़ाई सी दिखती है, जिसकी वजह कहानी थोड़ा सा बनावटी लगती है। इस घटना में पत्रकारों की क्या भूमिका रही, वो फिल्म का केंद्र बिंदु कहा सकता है।
स्टार कास्ट की एक्टिंग
इस तरह के मुद्दे पर बनने वाली फिल्मों में अक्सर कास्ट की एक्टिंग का अहम महत्व रहता है। जैसे द अटैक ऑफ 26/11 में नाना पाटेकर ने कर दिखाया था। ठीक उसी तरह से विक्रांत मैसी ने एक बार फिर से अपने दमदार अभिनय की छाप छोड़ी है, सेक्टर 36 और 12th Fail के बाद उनकी बैक टू बैक बेहतरीन परफॉर्मेंस मानी जा सकती है।
दूसरी तरफ साउथ अभिनेत्री राशि खन्ना ने भी बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए दावेदारी पेश कर दी है। इसके अलावा रिद्धि डोगरी की अदाकारी सराहनीय रही है। फिल्म में एक दिग्गज महिला पत्रकार का कैमियो भी देखने को मिलेगा।
टीवी एक्टर रहे हैं फिल्म के डायरेक्टर
फिल्ममेकर एकता कपूर के बालाजी टेलीफिल्म्स के मशहूर टीवी शो कुटुंब में यश के किरदार में नजर आने वाले अभिनेता धीरज शरण ने द साबरमती रिपोर्ट का डायरेक्शन किया है। उनकी कोशिश में अनुभव की कमी रही है, उसका प्रमाण आपको फिल्म के कुछ सीन्स देखने पर आसानी से लग जायेगा।लेकिन कुल मिलाकर उन्होंने इस गंभीर मुद्दे को पर्दे पर उतारने का उनका प्रयास कमाल का रहा है।
ट्रेन जलने जैसे सीन्स में वीएफएक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ठीक ढंग से हुआ, लेकिन सिनेमेटोग्राफी में मामला थोड़ा ठंडा नजर आता है। बतौर निर्माता एकता कपूर ने टीवी शो और एडल्ट कंटेंट की लाइन से हटकर इस बार दर्शकों को सिनेमाघरों में पैसा वसूल एंटरटेनमेंट देने की पूरी कोशिश की हैं।