बीजिंग : अमेरिका अपनी सैन्य ताकत दिखा रहा है, और चीन ने भी अब ठान लिया है कि वो चुप नहीं बैठेगा. जवाब में ड्रैगन ने अपनी ताकत का ऐसा प्रदर्शन शुरू किया है कि दुनिया देखती रह जाए. अमेरिका ने ईरान को धमकाने के लिए अपने बी-2 बॉम्बर को डिएगो गार्सिया में उतार दिया. वहीं चीन ने भी दक्षिण चीन सागर में स्कारबोरो शोल के पास दो लंबी दूरी के एच-6 बॉम्बर तैनात कर दिए. इसकी तस्वीरें जारी की हैं, और ये साफ दिखाता है कि चीन अपनी संप्रभुता का झंडा लहराने के मूड में है. यह कदम सीधे तौर पर चीन की ओर से अपनी संप्रभुता को मजबूत करने की कोशिश मानी जा रही है. यह तैनाती अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ की फिलीपींस यात्रा से पहले हुई है. फिलीपींस भी इस शोल पर दावा करता है, जो उसके 200 नॉटिकल मील के विशेष आर्थिक क्षेत्र में आता है.
चीनी रक्षा मंत्रालय के बड़बोले प्रवक्ता भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने इसकी तैनाती के पैमाने और हेगसेथ की यात्रा से लिंक पर कुछ नहीं कहा है. उधर, शुक्रवार को मनीला में हेगसेथ ने बड़े जोश में कहा कि फिलीपींस के साथ हमारा रिश्ता अटूट है, और दक्षिण चीन सागर में चीन की शैतानियों को अब रोकना ही पड़ेगा. हाल के वर्षों में चीनी तटरक्षक जहाजों ने इस क्षेत्र के मुहाने पर फिलीपींस के मछुआरों के साथ बार-बार तनाव पैदा किया है. मैक्सर टेक्नोलॉजीज ने सोमवार को सैटेलाइट तस्वीरें जारी कीं, जिसमें स्कारबोरो शोल के पूर्व में दो विमान दिख रहे हैं.
अमेरिका को आंख दिखाता चीन
क्षेत्रीय सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि चीन की यह तैनाती इत्तेफाक नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ एशिया इंस्टीट्यूट के पीटर लेटन ने कहा, ‘ड्रैगन यह संदेश देना चाहता है कि चीन के पास एक परिष्कृत सैन्य ताकत है. बॉम्बर का दूसरा संदेश यह हो सकता है कि आपके (अमेरिका) पास लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता है तो हमारे पास भी यह है, और वह भी बड़ी संख्या में.’
क्या है चीन के बॉम्बर की ताकत
चीन के एच-6 बॉम्बर सोवियत-युग के डिजाइन पर आधारित हैं, लेकिन इसे इतना आधुनिक कर दिया गया है कि अब ये किसी बाहुबली से कम नहीं. ये विमान विभिन्न प्रकार के जहाज-रोधी और जमीन पर हमला करने वाले क्रूज मिसाइल ले जा सकते हैं, और कुछ परमाणु हथियारों से लैस बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने में भी सक्षम हैं. अमेरिका के बी-52 बॉम्बर की तरह, एच-6 का मूल डिजाइन 1950 के दशक का है, लेकिन नए इंजन, आधुनिक हथियार और फ्लाइट सिस्टम इसे चीन का सबसे खतरनाक लंबी दूरी का हथियार बनाते हैं. पेंटागन की दिसंबर में जारी चीन की सैन्य शक्ति पर वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि वह एक बेहद सीक्रेट विमान डेवलप कर रहा है.
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चीनी रक्षा मंत्रालय के बड़बोले प्रवक्ता भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने इसकी तैनाती के पैमाने और हेगसेथ की यात्रा से लिंक पर कुछ नहीं कहा है. उधर, शुक्रवार को मनीला में हेगसेथ ने बड़े जोश में कहा कि फिलीपींस के साथ हमारा रिश्ता अटूट है, और दक्षिण चीन सागर में चीन की शैतानियों को अब रोकना ही पड़ेगा. हाल के वर्षों में चीनी तटरक्षक जहाजों ने इस क्षेत्र के मुहाने पर फिलीपींस के मछुआरों के साथ बार-बार तनाव पैदा किया है. मैक्सर टेक्नोलॉजीज ने सोमवार को सैटेलाइट तस्वीरें जारी कीं, जिसमें स्कारबोरो शोल के पूर्व में दो विमान दिख रहे हैं.
अमेरिका को आंख दिखाता चीन
क्षेत्रीय सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि चीन की यह तैनाती इत्तेफाक नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ एशिया इंस्टीट्यूट के पीटर लेटन ने कहा, ‘ड्रैगन यह संदेश देना चाहता है कि चीन के पास एक परिष्कृत सैन्य ताकत है. बॉम्बर का दूसरा संदेश यह हो सकता है कि आपके (अमेरिका) पास लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता है तो हमारे पास भी यह है, और वह भी बड़ी संख्या में.’
क्या है चीन के बॉम्बर की ताकत
चीन के एच-6 बॉम्बर सोवियत-युग के डिजाइन पर आधारित हैं, लेकिन इसे इतना आधुनिक कर दिया गया है कि अब ये किसी बाहुबली से कम नहीं. ये विमान विभिन्न प्रकार के जहाज-रोधी और जमीन पर हमला करने वाले क्रूज मिसाइल ले जा सकते हैं, और कुछ परमाणु हथियारों से लैस बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने में भी सक्षम हैं. अमेरिका के बी-52 बॉम्बर की तरह, एच-6 का मूल डिजाइन 1950 के दशक का है, लेकिन नए इंजन, आधुनिक हथियार और फ्लाइट सिस्टम इसे चीन का सबसे खतरनाक लंबी दूरी का हथियार बनाते हैं. पेंटागन की दिसंबर में जारी चीन की सैन्य शक्ति पर वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि वह एक बेहद सीक्रेट विमान डेवलप कर रहा है.
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