पुणे : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा-एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को पार्टी के 26वें स्थापना दिवस पर पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में भावुक अंदाज में पार्टी के विभाजन पर दुख जताया. पवार ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि 1999 में उनके द्वारा स्थापित राकांपा में 2023 में विभाजन होगा. जुलाई 2023 में उनके भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में एक गुट के शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल होने से पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी. इस विभाजन के बाद अजित पवार गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न (घड़ी) मिला था, जबकि शरद पवार के गुट का नाम राकांपा (शरदचंद्र पवार) रखा गया.
पवार ने अपने संबोधन में कार्यकर्ताओं की तारीफ की और कहा कि उन्होंने चुनौतियों के बावजूद पार्टी की विचारधारा को जिंदा रखा. उन्होंने कहा कि पार्टी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. आपने हार नहीं मानी और पार्टी को आगे बढ़ाया. हमने कभी नहीं सोचा था कि पार्टी बंट जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ.
विभाजन गहराया
पवार ने यह भी कहा कि कुछ लोग दूसरी विचारधाराओं के साथ चले गए, जिससे विभाजन गहरा गया. हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर ज्यादा चर्चा करने से परहेज किया और जोर दिया कि जो कार्यकर्ता उनके साथ रहे, वे राकांपा की मूल विचारधारा के प्रति वफादार हैं.
शरद पवार ने भविष्य को लेकर आशावाद जताया और कहा कि आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी. उन्होंने कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर पार्टी को मजबूत करने का आह्वान किया. पवार का यह बयान महाराष्ट्र की सियासत में नई हलचल पैदा कर सकता है, खासकर तब जब स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक हैं. उनके बयान ने यह सवाल भी उठाया कि क्या राकांपा के दोनों गुट कभी एकजुट हो सकते हैं.
जुलाई 2023 में अजित पवार ने अपने समर्थक विधायकों के साथ शिवसेना-भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री के तौर पर शामिल होकर राकांपा को झटका दिया था. इस विभाजन के बाद शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले के नेतृत्व में राकांपा (एसपी) को पुनर्गठित किया. 2024 के लोकसभा चुनावों में राकांपा (एसपी) ने महाराष्ट्र में एमवीए गठबंधन के साथ मिलकर अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे शरद पवार का कद और बढ़ा.
पवार ने अपने भाषण में राकांपा की मूल विचारधारा-किसानों, मजदूरों और सामाजिक न्याय पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह विचारधारा ही पार्टी की ताकत है. कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए उन्होंने भविष्य के लिए एकजुटता और मेहनत पर जोर दिया. यह देखना बाकी है कि क्या शरद पवार का यह भावनात्मक आह्वान दोनों गुटों को करीब लाएगा या महाराष्ट्र की सियासत में और उलटफेर लाएगा.