नई दिल्ली : फिलीपींस ने भारत से जो घातक हथियार खरीदा था, अब उसकी तैनाती का वक्त आ गया है. फिलीपींस मरीन कॉर्प्स ने भारतीय ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लैस अपनी नई एंटी-शिप मिसाइल यूनिट को पहली बार सार्वजनिक किया है. इसे कॉर्प्स की 75वीं वर्षगांठ पर दिखाया गया, जिसका वीडियो फिलीपींस सरकार ने जारी किया. फिलीपींस ने जनवरी 2022 में 320 मिलियन डॉलर में तीन BrahMos खरीदी थीं. राष्ट्रपति फ़र्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने कहा है कि देश भविष्य में और सिस्टम खरीदने की योजना भी बना रहा है.
‘ब्रह्मोस’ की क्षमता का तोड़ नहीं
- BrahMos की खासियत ये है कि ये मिसाइल जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी- चारों प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है.
- ये भारतीय मिसाइल 660 पाउंड तक के पारंपरिक वारहेड ले जा सकती है.
- BrahMos की रेंज लगभग 180 मील यानि करीब 290 किलोमीटर है.
- इस मिसाइल की रफ्तार 2,100 मील प्रति घंटा है.
- ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुताबिक इस मिसाइल को रोकने में सक्षम अभी तक कोई ज्ञात डिफेंस सिस्टम नहीं है.
चीन की छाती पर ब्रह्मोस की तैनाती
दक्षिण चीन सागर का सबसे विवादित और संवेदनशील स्कारबोरो शोल, जहां चीनी और फिलीपीन जहाज कई बार भिड़ चुके हैं, ये लूज़ोन से सिर्फ 140 मील की दूरी है. उपग्रह तस्वीरों के मुताबिक लूजोन के दो ठिकानों- जाम्बालेस में नेवल स्टेशन लेओविगिल्डो गैंटियोकी और इलोकोस नॉर्टे में कैंप केप बोहेआडोर पर ब्रह्मोस तैनाती की तैयारी देखी गई है. दोनों जगहों पर पहले अमेरिकी सेना भी अभ्यास कर चुकी है. सुरक्षा विश्लेषकों के मुताबिक ब्रह्मोस चीनी जहाजों और लैंडिंग वेसल के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकती है और स्कारबोरो शोल सहित कई क्षेत्रों में चीन की आगे बढ़ने की कोशिशों को रोक सकती है. हालांकि विशेषज्ञ पैट्रिसियो अबिनालेस का मानना है कि इससे क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन में बड़ा बदलाव नहीं आएगा, लेकिन फिलीपींस मरीन का मनोबल जरूर बढ़ेगा.
ऑपरेशन सिंदूर में शौर्य दिखा चुका है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस भारत की अपनी बनाई हुई मिसाइल है, जिसका कहर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया देख चुकी है. पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी ठिकानों से लेकर पाकिस्तानी एयरबेस पर इन मिसाइलों ने जो तबाही मचाई थी, उसकी चोट से पाकिस्तान आज भी उबर नहीं पाया है. इस ऑपरेशन के बाद से ही ब्रह्मोस मिसाइलों की डिमांड में तेजी आई और कई देशों ने इसे खरीदने के लिए ऑर्डर दिए हैं. फिलीपींस ने जनवरी 2022 में इन मिसाइलों का ऑर्डर दिया था, जिसका पहला बैच अप्रैल, 2024 में डिलीवर हुआ था. इसके अलावा वियतनाम और इंडोनेशिया से भी ब्रह्मोस की डील पक्की मानी जा रही है. इसके अलावा मलेशिया, थाईलैंड, ब्राजील, और चिली ने भी इसकी खरीद में दिलचस्पी दिखाई है.
इसी इलाके में तैनात है अमेरिकी मिसाइल
अमेरिका ने भी अपने एंटी-शिप सिस्टम फिलीपींस में भेजे हैं. साल 2024 से आर्मी की मिड-रेंज टाइफन मिसाइल बैटरी तैनात है, जिस पर चीन आपत्ति जता चुका है. साल 2024 में मरीन का NMESIS सिस्टम भी पहली बार फिलीपींस में अभ्यास के दौरान इस्तेमाल किया गया. इस इलाके में ब्रह्मोस यूनिट का प्रदर्शन ऐसे समय हुआ है जब पिछले हफ्ते अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ और फिलीपींस के रक्षा मंत्री गिल्बर्ट टियोडोरो ने दक्षिण चीन सागर में आक्रामकता रोकने के लिए एक नई संयुक्त टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की है.




