भयंकर गर्मी और उसमें चलने वाली गर्म हवाएं सिर्फ मनुष्यों के लिए ही खतरनाक नहीं, बल्कि इससे जानवर और पशु-पक्षी भी बीमार पड़ सकते हैं। घर के अंदर रहने वाले पेट्स फिर भी कुछ हद तक सुरक्षित हैं, लेकिन घर के बाहर रहने वाले जानवरों का क्या। अत्यधिक गर्मी के चलते उनका भी पाचन तंत्र खराब हो सकता है और इसका असर दूध उत्पादन पर भी देखने को मिल सकता है। भारत में दुधारू पशुओं की लिस्ट में गाय, भैंस, ऊंट व बकरी शामिल हैं, जिन्हें बड़े स्तर पर यहां पाला जाता है।
बदलते मौसम के साथ इन्हें भी एक्स्ट्रा देखरेख की जरूरत होती है। समय-समय पर चारा देना, साफ-सफाई करना, दुहना और घुमाना बेसिक केयर है, लेकिन गर्मियों में कुछ और भी चीजों को इसमें शामिल करना होगा।
दो से तीन बार नहलाएं
बढ़ती गर्मी में उनके शरीर को ठंडा रखने के लिए दिन में दो से तीन बार नहलाएं या फिर ठंडे पानी का छिड़काव भी कर सकते हैं। इससे उनकी प्रजजन क्षमता और दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
साफ व हवादार स्थान पर रखें
पशुओं के रहने की जगह साफ व हवादार होनी चाहिए। अगर उनके रहने वाली जगह ऊपर से खुली हुई है, तो गर्मियों में ऊपर से घास-फूस की मोटी छप्पर डाल दें। इससे उस जगह का तापमान ठंडा बना रहता है। खिड़की व दरवाजों पर बोरी या टाट टांग दें और उस पर समय-समय पर पानी का छिड़काव करते रहें। पॉसिबल हो तो वहां पंखे या कूलर भी लगा दें।
पशुओं को हरा चारा खिलाएं
गर्मी में दुधारू पशुओं को हरा चारा ज्यादा से ज्यादा खिलाएं। गर्मी में पशु सूखा चारा कम खाते हैं क्योंकि इसे पचाने में उनके शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में बेहतर होगा उनके आहार में हरे चारे की मात्रा ज्यादा हो। इसके साथ ही उन्हें पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी दें। दिन में कम से कम तीन से चार बार पानी पिलाएं।