विटामिन-डी की कमी के कारण हो सकती हैं कई परेशानियां
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विटामिन-डी की जरूरत हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए होती है, यह तो आप जानते ही होंगे। लेकिन क्या आपको ये पता है कि विटामिन-डी आपके दिमाग के लिए भी उतना ही जरूरी है। जी हां, अगर शरीर में विटामिन-डी की कमी हो जाए, तो इसका असर आपकी मेंटल हेल्थ पर भी पड़ सकता है।

विटामिन-डी और दिमाग का कनेक्शन

विटामिन-डी दिमाग में न्यूरोप्रोटेक्टिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी भूमिका निभाता है। यह सेरोटोनिन हार्मोन के सीक्रेशन को बढ़ाता है, न्यूरॉन्स के बीच कनेक्शन को सुधारता है और दिमाग की प्लास्टिसिटी यानी सीखने और याद रखने की क्षमता को बनाए रखता है। एक स्टडी के अनुसार, विटामिन-डी की कमी से डिमेंशिया, अवसाद, ऑटिज्म और यहां तक कि सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है।

विटामिन-डी की कमी के प्रभाव

डिमेंशिया और अल्जाइमर का खतरा- विटामिन-डी की कमी से दिमाग में एमिलॉइड-β (Aβ) पेप्टाइड्स का जमाव बढ़ जाता है, जो अल्जाइमर डिजीज का एक अहम कारण है। यह पेप्टाइड्स दिमाग के सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और कॉग्नीटिव फंक्शन प्रभावित होती है।

डिप्रेशन और मूड स्विंग्स- विटामिन-डी सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स के सीक्रेशन को कंट्रोल करता है। इसकी कमी से डिप्रेशन, चिंता और मूड डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है। एक स्टडी में भी पाया गया है कि जिन लोगों में विटामिन-डी का स्तर कम होता है, उनमें डिप्रेशन के लक्षण ज्यादा देखे जाते हैं।

ऑटिज्म और न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर- प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन-डी की कमी शिशु के दिमाग विकास को प्रभावित कर सकती है। स्टडीज का मानना है कि यह कमी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों के जोखिम को बढ़ा सकती है।

सिजोफ्रेनिया और साइकोटिक डिसऑर्डर- एक स्टडी में पाया गया है कि विटामिन-डी की कमी वाले व्यक्तियों में सिजोफ्रेनिया जैसे मेंटल डिसऑर्डर का खतरा ज्यादा होता है। यह विटामिन दिमाग में न्यूरोट्रांसमिशन को बैलेंस रखने में मदद करता है। माइग्रेन और सिरदर्द- विटामिन-डी की कमी से न्यूरोइन्फ्लेमेशन बढ़ सकती है, जिससे माइग्रेन और लगातार सिरदर्द की समस्या हो सकती है।

विटामिन-डी की कमी के लक्षण

थकान और कमजोरी
याददाश्त कमजोर होना
डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन
नींद न आना
मांसपेशियों में दर्द
बार-बार इन्फेक्शन होना

विटामिन-डी की कमी से बचाव के उपाय

धूप सेकें- सुबह 10-15 मिनट धूप में बैठने से शरीर में विटामिन-डी का प्रोडक्शन होता है। सुबह 8-10 बजे की धूप सबसे अच्छी मानी जाती है।
विटामिन-डी से भरपूर डाइट- फैटी फिश, अंडे की जर्दी, दूध, दही, पनीर, मशरूम, फोर्टिफाइड अनाज और फोर्टिफाइड ऑरेंज जूस विटामिन-डी की कमी से बचाव में मदद कर सकते हैं।

सप्लीमेंट्स लें- डॉक्टर की सलाह से विटामिन-डी सप्लीमेंट्स (1000-2000 IU प्रतिदिन) ले सकते हैं। गंभीर कमी होने पर हाई-डोज थेरेपी दी जाती है।
नियमित जांच कराएं- साल में एक बार विटामिन-डी ब्लड टेस्ट करवाएं। सामान्य स्तर 30-50 ng/mL के बीच होना चाहिए।

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