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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रइसी की मौत पर भारत ने गहरा शोक किया व्यक्त
फाइल फोटो


ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रइसी विदेश मंत्री होसैन आमिर-अब्दोलाहियान व कुछ दूसरे अधिकारियों की एक हेलीकाप्टर हादसे में हुई मौत पर भारत ने गहरा शोक व्यक्त किया है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति रईसी की मौत पर गहरा सदमा करार दिया है और अपना दुख व्यक्त करते हुए भारत-ईरान रिश्तों को मजबूत बनाने में रईसी के योगदान को याद किया है।

भारत-ईरान के रिश्ते कैसे हैं

विदेश मंत्री जयशंकर अपने शोक संदेश में मृतक राष्ट्रपति व विदेश मंत्री के साथ अपनी मुलाकातों को याद किया है और कहा है कि इस दुख की घड़ी में भारत ईरान की जनता के साथ है। रईसी के कार्यकाल में जिस तरह से भारत-ईरान के रिश्ते बढ़ रहे थे उसके मद्देनजर एक साथ राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मौत का तात्कालिक असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि दीर्घकालिक रिश्तों पर कोई असर पड़ने की आशंका नहीं है।

इब्राहिम रईसी की मौत

पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में लिखा है कि ईरान के राष्ट्रपति डॉ. सैयद इब्राहिम रईसी की दुखद मौत से काफी दुख व गहरा आघात लगा है। भारत-ईरान के रिश्तों को मजबूत बनाने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार व ईरान की जनता के प्रति मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। इस दुख की घड़ी में भारत की जनता ईरान के साथ है।

पीएम मोदी और इब्राहिम रईसी की मुलाकात

मोदी ने अंतिम बार सितंबर 2023 में जोहांसबर्ग में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रईसी से मुलाकात की थी। इसके बाद द्विपक्षीय रिश्तों में नई गति महसूस की गई थी। इसका नतीजा मई 2024 में चाबहार पोर्ट के सह-प्रबंधन के लिए किया गया समझौता है जिसके तहत ईरान के इस बेहद रणनीतिक पोर्ट के एक हिस्से का प्रबंधन भारतीय कंपनी को दिया गया है।

भारत ईरान की दीर्घकालिक नीति

दोनो नेताओं के बीच द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक नीति बनाने पर बात भी हुई। ईरान पर अभी अमेरिका का प्रतिबंध है जिसकी वजह से भारत उसके साथ खुल कर कारोबार नहीं कर पा रहा है। दोनो तरफ की सरकारें इस प्रतिबंध का काट खोजने में जुटी हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने शोक संदेश में गहरा दुख व्यक्त किया है और दोनों मृत नेताओं के साथ अपनी मुलाकातों को याद किया है।

भारत ईरान की योजनाएं

उन्होंने बताया है कि राष्ट्रपति रईसी और विदेश मंत्री अब्दोलाहियान के साथ उनकी अंतिम मुलाकात जनवरी, 2024 में हुई थी। तब जयशंकर ईरान की यात्रा पर गये थे। ईरान के राष्ट्रपति रईसी ने जनवरी, 2023 में भारत दौरे की योजना बनाई थी लेकिन अंतिम समय में कुछ वजहों से यह नहीं हो पाया था। लेकिन पिछले दो वर्षों में विदेश मंत्री जयशंकर ने तीन बार ईरान की यात्रा की है जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल ने एक-एक बार ईरान का दौरा किया था। भारत ने चाबहार पोर्ट को विकसित करने में काफी पैसा खर्च किया है।

भारत ईरान के बीच समझौते

सोमवार (20 मई 2024) को भी पीएम मोदी ने एक मीडिया के साथ साक्षात्कार में चाबहार पोर्ट को भारत के रणनीतिक हितों के लिए बेहद जरूरी बताते हुए कहा है कि भारत इसके जरिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों के साथ संपर्क स्थापित करने की इच्छा रखता है। इस बारे में भारत व ईरान के बीच हाल ही में किये गये समझौते को पीएम मोदी ने मील का पत्थर करार दिया है। रईसी की मौत के बाद ईरान के हालात पर भारत की नजर रहेगी। चाबहार पोर्ट को विकसित करने की भारत की योजना पर भी कुछ असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।


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