गर्मियों में सांस से जुड़ी बीमारी के मरीजों के लिए जरूरी टिप्स
गर्मी और ह्यूमिडिटी


गर्मी और ह्यूमिडिटी होने पर सबसे ज्यादा परेशानी अस्थमा के मरीजों को उठानी पड़ सकती है। इस मौसम में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। बॉडी का मेटाबॉलिक रेट बढ़ने लगता है। ऐसे में फेफड़ों पर बहुत लोड पड़ता है। बहुत ठंडी या गर्मी से सांस की नलियों में सूजन पैदा हो जाती है। 

अत्यधिक तापमान में यह नलियां ड्राई होकर सूज जाती हैं, जिससे यह बहुत सेंसिटिव हो जाती हैं। ऐसे में अगर पेशेंट को साथ में हीट स्ट्रोक हो जाए, तो समस्या बढ़ जाती है।
खांसी, बलगम आना, छाती में जकड़न, सांस फूलना अस्थमा के संकेत हो सकते हैं।

लंग पेशेंट्स इन बातों का ध्यान रखें

  • सीपीओडी के मरीज डॉक्टर की सलाह लेकर इन्फ्लूएंजा या नीमोकोकल वैक्सीन का इस्तेमाल करें।
  • जहां भी रहें उस जगह का तापमान मेंटेन रखें, जिससे बॉडी एक समान टेंपरेचर पर रहे।
  • तेज धूप में और दिन के समय सुबह 10 से शाम 4 बजे तक बाहर न निकलें।

ऐसे करें बचाव

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पानी के अलावा ओआरएस, फलों का जूस व नारियल पानी भी लें।
  • थोड़ी देर ही सही व्यायाम के लिए वक्त जरूर निकालें। ज्यादा थकाने वाली एक्सरसाइज से बचें। 
  • एसी से निकलकर तुरंत तेज धूप में जाने से बचें।
  • वॉकिंग फिट रहने के लिए बेस्ट है। 
  • वायरल इन्फेक्शन हो, तो मास्क पहनकर ही रहें।


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