आर्थिक मदद की उम्मीद में जिंदगी की जंग हारा सोनू कुमार, सरकार के बाद सपा ने भी नही दी आर्थिक मदद...
सोनू


लखनऊ। इंसानियत को शर्मसार करती इस घटना ने देश की सियासी व्यवस्था पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। कहा जाता है कि जहां सत्ता मदद में विफल होती है वहां विपक्ष के हाथ स्वतः ही मदद के लिए आगे बढ़ जाते है ताकि सत्ता के खिलाफ विपक्ष का सियासी माइलेज बरकरार रहे। पर सोनू कुमार के मामले में जो कुछ हुआ उसने इस पैमाने को भी पलट के रख दिया। 

दरअसल जौनपुर जिले के ग्राम भोईला के रहने वाले सोनू कुमार ने पिछले दिनों आत्महत्या का प्रयास किया। परिजनों ने सोनू को बनारस के कई सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया जहाँ से जवाब मिलने के बाद परिजनों ने सोनू को निजी अस्पताल में भर्ती कराया। परिजनों ने निजी अस्पताल में सोनू को इलाज के लिए भर्ती तो कराया पर इलाज कराने का पैसा  उनके पास नही था। सोनू के परिजनों ने मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद की गुहार लगायी पर वहाँ से मदद नही मिली फिर सोनू के परिजनों को समाजवादी पार्टी से उम्मीद की कि सपा उन्हें आर्थिक मदद जरूर देगी । 

परिजनों ने सपा के वरिष्ठ नेता दारा सिंह यादव से मदद की गुहार लगायी। पर शायद सोनू की दर्द की आवाज़ दारा सिंह यादव के कान तक नही पहुंची। लिहाजा कई दिनों तक आर्थिक मदद के इंतजार में बैठे सोनू ने अपनी सांसे छोड़ दी और जीवन के अंतिम सत्य मृत्यु को प्राप्त कर लिया। 

सोनू की इस मौत ने सत्ता और विपक्ष दोनों की आर्थिक मदद की नीतियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है, प्रश्न सिर्फ इतना है कि क्या सत्ता और विपक्ष की मदद सिर्फ उनको ही मिलेगा जिनके पीछे मीडिया का शोर हो, इस राज्य का एक आम वोटर, क्या उसे ये नैतिक हक़ नही है कि अपनी विषम आर्थिक परिस्थितियों में वो सत्ता या विपक्ष से आर्थिक मदद प्राप्त कर सकें। इसका जवाब या तो सत्ता पक्ष देगा या विपक्ष के नेता दारा सिंह यादव जिनसे सोनू और उसके परिजनों को ये उम्मीद थी कि इलाज के पैसे मिलेंगे पर दारा सिंह यादव की निष्ठुरता ने एक जिंदगी को मौत के आगे समर्पण करने को मजबूर कर दिया।


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