चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार : फर्जी आदेशों की भरमार
फाइल फ़ोटो


अमेठी :चकबंदी विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार का सफ़ेद हाथी और भ्रष्टाचार का घर है ।इसी के चलते जिला व तहसील अमेठी में सरवन पुर गाँव के लोग परेशान हैं । इस गाँव में सन 1995 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई थी । सन 2000 में चक काट कर कब्ज़ा परिवर्तन किया गया था लेकिन उसके बाद इक्कीस वर्ष बीत गये लेकिन धारा 52 का प्रकाशन अभी तक नहीं हुआ है । धारा 52 के प्रकाशन के बाद ही चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण होती है। उसके पहले तरह -तरह की मुकदमेबाजी और फर्जी आदेश की गुंजाइश रहती है ।

अमेठी तहसील मुख्यालय से सटे हुए गाँव सरवन पुर में चालबाज किसानों और भ्रष्ट चकबन्दी अधिकारियों के गठजोड से फर्जी आदेशों कि भरमार है और मुआकदमेबाजी हो रही है ! ऐसा भी हुआ है कि चकबन्दी कर्मियों को घूस देकर कुछ लोग कब्ज़ा परिवर्तन के भद भी अपना खेत चक आउट करा लिए और उस खेत के बदले मिली चक पर भी काबिज हैं !

फ़ाइनल नक्शा जारी नहीं होने के कारण भी फर्जीवाड़ा हो रहा है ! ऐसा ही एक प्रकरण विद्यासागर त्रिपाठी की चक संख्या १९१ का है जिसका नक्शा छोटा करके उसका कुछ भाग अन्य किसान की चक संख्या ४३२ में मिला दिया और विद्यासागर को नोटिस तक नहीं तामील हुई ! इस मामले में एक पूर्व बंदोबस्त अधिकारी मधुसूदन दुबे की कारस्तानी उजागर हुई है !उन्होंने चक संख्या ४३२ के मालिक विजय कुमार शुक्ल से रिश्वत लेकर उनकी चक का नक्शा बढ़ा दिया और विद्यासागर की चक का रकबा काम कर दिया


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