सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर लगाई रोक, अखिलेश बोले-अब बदल देंगे नाम
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लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट ने डिमोलेशन के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए बुलडोजर एक्शन (डिमोलेशन) पर रोक लगा दी. यह रोक एक अक्टूबर तक के लिए लगाई गई है. कोर्ट का कहना है कि सार्वजनिक जगहों पर हुए अतिक्रमण के मामलों में ही एक्शन लिया जाएगा. मामले पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया हैंडल पर प्रतिक्रिया दी है.


उन्होंने लिखा कि ‘न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को ही नहीं बल्कि बुलडोजर का दुरुपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है. आज बुलडोज़र के पहिये खुल गये हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है, ये उनके लिए पहचान का संकट है जिन्होंने बुलडोज़र को अपना प्रतीक बना लिया था.’

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया हेंडल एक्स पर लिखा कि ‘न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को ही नहीं बल्कि बुलडोजर का दुरुपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है. आज बुलडोजर के पहिये खुल गये हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है. ये उनके लिए पहचान का संकट है जिन्होंने बुलडोजर को अपना प्रतीक बना लिया था. अब न बुलडोजर चल पायेगा, न उसको चलवाने वाले. दोनों के लिए ही पार्किंग का समय आ गया है. आज बुलडोजरी सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया. अब क्या वो बुलडोजर का भी नाम बदलकर उसका दुरुपयोग करेंगे? दरअसल ये जनता का सवाल नहीं, एक बड़ी आशंका है.’



गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने समूचे देश में प्राधिकारियों को उसकी इजाजत के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियों को एक अक्टूबर तक ध्वस्त नहीं करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है, तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा. पीठ ने कहा कि यदि अवैध ध्वस्तीकरण का एक भी उदाहरण है. तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है.


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