अगर आप भी कमर दर्द से हैं परेशान तो करें ये उपाय
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If you are also troubled by back pain then do these remedies इस आसन का नाम संस्कृत के शब्दों से लिया गया है, जिसमें सुप्त का मतलब है लेटना, मत्स्येन्द्र यानी मछलियों के भगवान और आसन यानी मुद्रा। सुप्त मत्स्येन्द्रासन क सुपाइन ट्विस्ट, द रिसाइक्लिंग ट्विस्ट, द रिसाइक्लिंग लार्ड ऑफ द फिश पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस योगासन का अभ्यास करना तो आसान है ही साथ ही कई सारे फायदे भी मिलते हैं। 

सुप्त मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास का तरीका

  1. योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
  2. अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और ऊपर उठाते हुए इसके तलवे को बाएं घुटने के पास टिकाएं।
  3. फिर अपनी पीठ को बाईं ओर मोड़ें और अपने दाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें। वहीं, बाएं हाथ को कंधे की सीध में फैलाएं।
  4. इसके बाद सिर को बाईं ओर घुमाएं। कुछ देर इसी स्थिति में रहें फिर नॉर्मल हो जाएं।
  5. कम से कम तीन से पांच बार इस आसन का अभ्यास करना है।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन के नियमित अभ्यास से होने वाले फायदे

  • इस योगासन को करने से पीठ दर्द से राहत मिलती है।
  • इस आसन को करने से नींद से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
  • इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी, हिप्स, कंधों, हैम्स्ट्रिंग, पैरों और हाथों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
  • अगर आपका पाचन सही नहीं है, तो यह आसन उसमें भी मदद करता है।
  • इस आसन को करने से बॉडी में मौजूद विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
  • इतना ही नहीं इसका महज दो से तीन बार अभ्यास करने से माइंड रिलैक्स होता है।

अभ्यास के दौरान बरतें ये सावधानियां

  • अगर आपको रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई समस्या है, तो आपको इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। 
  • गर्भवती महिलाओं को भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • आपको पेट से जुड़ी कोई समस्या है या कोई सर्जरी हुई है, तो भी इस योगासन का अभ्यास न करें।
  • अगर इस योगाभ्यास के दौरान कमर में किसी भी तरह की तकलीफ महसूस होती है तो इसका अभ्यास न करें।


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