आरक्षण को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच आगे निकलने की होड़
फाइल फोटो


 पिछड़ों के लिए अधिक आरक्षण और गरीबों को अधिकाधिक आर्थिक लाभ देने का आग्रह कर उसने सरकार को उसके ही दांव में उलझाने का भरसक प्रयास किया।

सरकार भी जैसे इन स्थितियों को तय मान कर आई थी। चर्चा पर अपना जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वह ब्रह्मास्त्र भी छोड़ ही दिया, जो दिल्ली को प्राय: निरुत्तर कर जाता है। बिहार को विशेष दर्जा मिल जाए तो गरीबों को अविलंब अगली कतार में लाने का सपना भी पूरा हो जाए।

चुटकी के अंदाज में विपक्ष से उन्होंने आग्रह किया कि भाजपा के भीतर चुपके से ही यह बात चला तो दीजिए। संभवत: बिहार का कल्याण हो जाए! पिछड़े-गरीबों के हित में निर्दलीय विधान पार्षद सच्चिदानंद राय भी मुखर होना चाह रहे थे। सरकार ने ऐसी झिड़की लगाई कि बेचारे चुप बैठ गए।

उस सूची से उनका नाम भी कट गया, जिनमें जाति आधारित गणना व आरक्षण के प्रस्ताव पर चर्चा करने वाले वक्ताओं का नाम दर्ज था। संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने सदन में प्रस्ताव रखा। कहा कि सरकार की यह पहल सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व प्रशासनिक क्षेत्र में मील का पत्थर सिद्ध होगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह रहे कि देश में पहली बार डिजिटल मोड में जनगणना होगी।

देश को सदैव राह दिखाने वाले बिहार ने उससे पहले ही जाति आधारित गणना को भी डिजिटल मोड में करा लिया है। अपनी बात रखते भाजपा के सम्राट चौधरी को संभवत: माइक की आवश्यकता नहीं थी। आवाज इस कदर बुलंद थी। कर्पूरी ठाकुर से लेकर नीतीश कुमार तक की सरकार बनाने और आरक्षण की पक्षधरता में भाजपा की भूमिका का उल्लेख किया।

सरकार से आग्रह यह कि आरक्षण की सीमा 80 प्रतिशत तक बढ़ाइए, लेकिन पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को आगे करिए। जाति आधारित गणना के आंकड़ों को गांव व पंचायतवार सार्वजनिक किया जाए। भूमिहीनों पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसी बीच सच्चिदानंद राय बोलने के लिए खड़े हुए। मुख्यमंत्री ने रोका-टोका, इधर-उधर होते रहते हैं। हमारी ओर होते तो आज आप भी बोल रहे होते।

भाकपा के डा. संजय कुमार सिंह ने सरकार का आभार प्रकट किया और राजद के रामचंद्र पूर्वे ने तर्कों-तथ्यों के साथ पूरे लय में अपनी बात रखी। लच्छेदार हिंदी के बीच-बीच में अंग्रेजी के वाक्य और शेर-ओ-शायरी से लेकर कविता की पंक्तियां तक। राम और श्रीराम के भ्रम पर उन्होंने विपक्ष को ललकारा भी। बोलकर बैठे तो बगलगीर राबड़ी देवी लौंग-इलायची पकड़ाती रहीं और पूर्वे एक के बाद एक मुंह में धरते गए।

कांग्रेस के डा. समीर कुमार सिंह को बहुत टोका-टाकी झेलनी पड़ी और पुस्तक की पंक्तियों के पाठ से पहले ही डा. रामवचन राय को अपनी वाणी पर विराम के लिए विवश कर दिया गया। लंबा बोलने की मंशा में मोटी-मोटी किताबें और नोट्स लिए आए थे। मुख्यमंत्री के पीछे की कतार में बैठे डा. चंद्रशेखर उनकी ओर एकटक देखे जा रहे थे।

सदन में विपक्ष के नेता हरि सहनी ने लड़खड़ाते हुए शुरुआत की, लेकिन मल्लाहों की बात करते उनकी आवाज गूंजने लगी। उनकी मानें तो गणना में जातीय घोटाला हुआ है। अति पिछड़ी जातियों की संख्या आज 113 हो गई है। सरकार को चुनौती यह कि अगर वह मलाई मारने की मंशा नहीं रखती तो किसी अति पिछड़ा को मुख्यमंत्री बना दे।

भाजपा ने तो अति पिछड़ा को उप मुख्यमंत्री (रेणु देवी) बनाया। उससे आगे पार्टी के वश में नहीं था। पूर्व मंत्री मंगल पाण्डेय ने पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के वर्गीकरण का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सब हो जाएगा। सदन सहमति तो जताए, हम मंत्रिमंडल की बैठक में तय कर लेते हैं। पूरे सदन ने हाथ उठाकर सरकार से हामी भर दी।


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