प्रदोष व्रत का सनातन धर्म में खास महत्व है। यह महीने में दो बार आता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। लोग भगवान शिव और देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस बार यह व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर 2023 यानी आज रखा जाएगा।
शुक्र प्रदोष व्रत तिथि और समय
त्रयोदशी तिथि आरंभ - 24 नवंबर 2023 - शाम 07:06 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 25 नवंबर 2023 - शाम 05:22 बजे
विशेष पूजा मुहूर्त - 24 नवंबर 2023 - शाम 07:06 बजे से शाम 07:41 बजे तक
महामृत्युंजय मंत्र
''इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करने से रोग, दोष तथा सभी सकंट समाप्त हो जाते हैं.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्''॥
भगवान शिव का गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र का जाप करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष, राहु केतु तथा शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
।। ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात ।।
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
शुक्र प्रदोष व्रत का बड़ा ही धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस विशेष दिन पर साधक उपवास रखते हैं और भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करते हैं। यह व्रत उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है, जिनके जीवन में विवाह संबंधी परेशानियां आ रही हैं, जो व्रती सच्चे समर्पण के साथ इस व्रत को पूरा करते हैं, भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
व्रत सुबह से शाम तक रखा जाता है और उसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने के बाद इसका पारण किया जा सकता है, जो लोग अपने जीवन में परेशानियों का सामना कर रहे हैं और मानसिक समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं, उन्हें प्रदोष के दिन पूजा करने और व्रत रखने का संकल्प जरूर लेना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अपने रास्ते में आने वाली सभी समस्याओं और परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा।