भारत में मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करना एक पेचीदा मुद्दा है। यहाँ क़ाफी लोग चिंता से पीड़ित है और कुछ लोग रचनात्मक अंदाज़ में इस मुद्दे पर बात करते हैं।