हम और आप हर रोज गायत्री मंत्र का जाप करते हैं लेकिन आपको पता है क्या कि इस मंत्र का जाप करने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये।
मंत्र - ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।
ॐ - ईश्वर , भू: - प्राणस्वरूप , भुव: - दु:खनाशक, स्व: - सुख स्वरूप, तत् - उस , सवितु: - तेजस्वी, वरेण्यं - श्रेष्ठ, भर्ग: - पापनाशक, देवस्य - दिव्य, धीमहि - धारण करे, धियो - बुद्धि ,यो - जो, न: - हमारी , प्रचोदयात् - प्रेरित करे
गायत्री मंत्र को पढ़ते समय सही स्थिति में बैठना चाहिए। किसी आसन पर बैठकर ही गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
गायत्री मंत्र का जप सूर्योदय से दो घंटे पूर्व से लेकर सूर्यास्त से एक घंटे बाद तक किया जा सकता है।
इस मंत्र का जाप नहाधोकर और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर करना चाहिए।
अगर माला से गायत्री मंत्र का जप करना चाहते हैं तो 108 मनकों की माला को रखें।
इस मंत्र को जल्दी -जल्दी नहीं पढ़ना चाहिए। इसके महत्व और अर्थ को समझकर ही उच्चारण करना चाहिए।
पढ़ाई शुरू करने से पहले इस मंत्र को सही तरीके से जाप करें
इस मंत्र का सही उच्चारण करना चाहिए