आईटी सिटी कहलाने वाला बैंगलोर बना फ्लड सिटी
गुरुवार को बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में बाढ़ का पानी तो कम हो गया, लेकिन आईटी राजधानी के लिए सबसे खराब स्थिति अभी भी खत्म नहीं हुई है


लखनऊ:-बंगलोर शहर को भारत की इलेक्ट्रोनिक सिटी, सिलीकॉन वैली जैसे नामों से नवाज़ा गया है किंतु आज यह शहर फ़्लड सिटी के नाम से जाना जा रहा है,कभी हरा भरा हुआ करता बंगलोर आज काँक्रीट का जंगल बन गया है, बड़ी बड़ी आईटी कंपनियनो के बड़े-बड़े  ऑफ़िस ने पूरे  बंगलोर को बदल कर रख दिया, आज बंगलोरे इस दशा का 
ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ इंसान की लालच है । 

मनुष्य है कारण 

कुल मिलाकर कारणो की समीक्षा करें तो बैंगलोर में बाढ़ से तबाही के 5 सम्भावित कारण हो सकते हैं - 1. नालों के अतिक्रमण या ठोस अपशिष्ट/निर्माण और विध्वंस कचरे के डंपिंग के कारण झीलों के बीच परस्पर संपर्क का नुकसान 2. बाढ़ के मैदानों और आर्द्रभूमियों का अतिक्रमण (घाटी क्षेत्रों, बाढ़ के मैदानों और झील के तल में निर्माण) और गैर-अधिसूचित झीलों ('मृत झीलों' की आड़ में - कोई भी झील मृत नहीं हो सकती क्योंकि यह भूजल उसके पुनर्भरण का काम करती है) 3. तूफानी जल नालों को संकरा और पक्का करना, जिससे प्राकृतिक नालियों के हाइड्रोलाजी सबंधि कार्य बाधित हो रहे हैं 4. व्यापक क्षेत्रों का नुकसान - खुले स्थानों, आर्द्रभूमि और वनस्पति आवरण में कमी 5. बिना आँकलन के सुनियोजित ढंग से लिए गए निर्णय एवं  गैर-जिम्मेदार शहरीकरण के कारण शहर में बढ़ी हुई पक्की सतह (78% पक्की सतह और 2022 तक 94% होने की संभावना)। इसके अलावा, तेजी से शहरीकरण ने शहर में बड़े पैमाने पर भूमि कवर में बदलाव किया है, जिससे गंभीर पर्यावरणीय गिरावट आई है।  1973 में वनस्पति आवरण 68% से घटकर 2020 में लगभग 3% रह गया है। इसने स्थिति को और बढ़ा दिया है।

गुरुवार को बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में बाढ़ का पानी तो कम हो गया, लेकिन आईटी राजधानी के लिए सबसे खराब स्थिति अभी भी खत्म नहीं हुई है, मौसम ब्यूरो ने अगले दो दिनों के लिए शहर समेत दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है।  भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, तटीय और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में 8-9 सितंबर को और आंतरिक कर्नाटक में 9-10 सितंबर को कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा की भविष्यवाणी की गई है।




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