सुप्रीम कोर्ट ने यूपी विधान परिषद में नेता विपक्ष का पद रिक्त होने के मामले में सभापति और मुख्य सचिव को थमाया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली :  सुप्रीम कोर्ट ने यूपी विधान परिषद में विपक्ष के नेता का पद खाली होने के खिलाफ दायर याचिका पर यूपी विधान परिषद के सभापति और प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया।  

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि विपक्ष का मतलब केवल सरकार में होने वाले विपक्ष का नहीं होता है। समाजवादी पार्टी के एमएलसी लालबिहारी यादव ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि विधान परिषद में एसपी सदस्यों की संख्या 10 फीसदी से कम होने का हवाला देकर विपक्ष के नेता का पद ले लिया गया है।  लाल बिहारी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि विधान परिषद में 90 निर्वाचित और 10 मनोनीत सदस्य हैं।

उन्होंने कहा कि प्रश्न यह है कि 10 प्रतिशत के नियम का आधार किसको माना जाए। सुनवाई के दौरान जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि पिछली लोकसभा में यह मुद्दा उठा था और पता चला कि प्रतिशत जरूरी नहीं है। यदि सदन में विपक्ष हो तो उसका एक नेता भी होना चाहिए। सपा के लाल बिहारी यादव ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें विधान परिषद के विरोधी दल के नेता के रूप में उनकी मान्यता को रद्द कर दिया गया था।


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