नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी के जरिये कराने का आदेश दिया है. जस्टिस के एम जोसफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान बेंच ने ये फैसला सुनाया.
कोर्ट ने 24 नवंबर, 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर चार दिन सुनवाई की थी. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल कोर्ट में पेश की थी. जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच ने नियुक्ति में सरकार की ओर से दिखाई गई रही तेजी पर सवाल उठाया था. कोर्ट ने कहा था कि एक ही दिन फाइल को क्लीयरेंस मिलने से लेकर नियुक्ति तक कैसे हो गई. पद तो 15 मई, 2022 से खाली था.
सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि आमतौर पर वीआरएस लेने वाला कर्मचारी तीन महीने का नोटिस देता है. तब प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें संदेह है कि अरुण गोयल ने वीआरएस के लिए नोटिस दिया था कि नहीं. इसलिए गोयल की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज कोर्ट को मंगाने चाहिए. इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि कोर्ट बड़े मसले पर विचार कर रही है. अटार्नी जनरल ने कहा था कि प्रशांत भूषण जैसा बता रहे हैं वैसा नहीं है.