लोकसेवा दिवस पर प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को संबोधित किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


नई दिल्ली : 21 अप्रैल पिछले करीब दो दशक से देश में विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत सभी अधिकारियों के कार्यों की पहचान और प्रोत्साहन के लिए हर साल 21 अप्रैल को ‘लोकसेवा दिवस’ मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘लोक सेवा दिवस’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए । दिल्ली के विज्ञान भवन में सुबह 11 बजे शुरू हुए कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।

कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए मोदी ने कहा कि  इस साल का सिविल सेवा दिवस बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं। यह ऐसा समय है जब देश ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। देश को आजादी के अमृतकाल तक लाने के लिए उन अधिकरियों की बड़ी भूमिका रही जो 15-25 साल पहले इस सेवा में आए हैं और अब आजादी के इस अमृतकाल में उन युवा अधिकारियों की भूमिका सबसे बड़ी है जो अगले 15-25 साल इस सेवा में रहने वाले हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि आज भारत के हर सिविल सेवा अधिकारी से यही कहूंगा कि आप बहुत भाग्यशाली हैं। आपको इस कालखंड में देश की सेवा का अवसर मिला है… हमारे पास समय कम है लेकिन सामर्थ्य भरपूर है, हमारे लक्ष्य कठिन हैं लेकिन हौसला कम नहीं है, हमें पहाड़ जैसी ऊंचाई भले ही चढ़नी है, लेकिन इरादे आसमान से भी ज्यादा ऊंचे हैं।’

पीएम मोदी ने सिविल सेवा दिवस पर सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल पेमेंट में भारत नंबर वन है। भारत उन देशों में से एक है, जहां मोबाइल डेटा सबसे सस्ता है। आज देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। 2014 के मुकाबले आज देश में 10 गुना ज्यादा तेजी से रेल लाइनों का विद्युतीकरण हो रहा है।

उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में अगर देश के गरीब से गरीब को भी सुशासन का विश्वास मिला है तो इसमें आपकी मेहनत भी रही है। पिछले 9 वर्षों में अगर भारत के विकास को नई गति मिली है तो ये भी आपकी भागीदारी के बिना संभव नहीं था। कोरोना संकट के बावजूद आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते वर्ष 15 अगस्त को मैंने लाल किले से देश के सामने ‘पंच प्रणों’ का आह्वान किया था। विकसित भारत के निर्माण का विराट लक्ष्य हो, गुलामी की हर सोच से मुक्ति हो, भारत की विरासत पर गर्व की भावना हो, देश की एकता और एकजुटता को निरंतर सशक्त करना हो और अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखना हो… इन पंच प्राणों की प्रेरणा से जो ऊर्जा निकलेगी, वो हमारे देश को वो ऊंचाई देगी, जिसका वो हमेशा से हकदार रहा है।


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