चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लांच, 50 दिन बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास करेगा लैंड
भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 शुक्रवार को 2:35 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया.


नई दिल्ली : भारत का तीसरा मून मिशन 'चंद्रयान-3' शुक्रवार को 2:35 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया. चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया. इसे तैयार करने में कुल 615 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं. ये मिशन लगभग 50 दिन में पूरा होगा. चंद्रयान-3 पचास दिन बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा. 'चंद्रयान-3' को चन्द्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया. जिसे पहले हम GSLV MK-III के नाम से जानते था. इसी रॉकेट से स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था.

इस बार चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट ने जिस ऑर्बिट में छोड़ा है वह 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट है. पिछली बार चंद्रयान-2 के समय 45,575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था. इस बार यह कक्षा इसलिए चुनी गई है ताकि चंद्रयान-3 को ज्यादा स्थिरता प्रदान की जा सके.

धरती और चंद्रमा के 5-5 चक्कर लगाएगा चंद्रयान-3
इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट के जरिए चंद्रयान की ट्रैकिंग और ऑपरेशन ज्यादा आसान और सहज होगा. चंद्रमा की ओर भेजने से पहले चंद्रयान-3 को धरती के चारों तरफ कम से कम पांच चक्कर लगाने होंगे. हर चक्कर पहले वाले चक्कर से ज्यादा बड़ा होगा.

23 अगस्त को गति होगी धीमी, लैंडिंग होगी शुरू
चंद्रयान-3 चंद्रमा की 100X100 किलोमीटर की कक्षा में जाएगा. इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे. उन्हें 100 किलोमीटर X 30 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में लाया जाएगा. 23 अगस्त को डीबूस्ट यानी गति धीमी करने का कमांड दिया जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरना शुरू करेगा.


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