गोरखपुर में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कही ये बड़ी बात
फाइल फोटो


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि जब समाज बिखरा होता है तो सोमनाथ मंदिर टूटता है, अयोध्या में राम मंदिर अपवित्र होता है। जब समाज एकजुट होता है तो अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होता है। हम समाज से विकृतियों को दूर कर सामाजिक एकता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यह हमारा दायित्व है और महाराणा प्रताप की प्रेरणा भी।

सीएम ने किया महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण

सीएम योगी शनिवार की शाम तारामंडल रोड स्थित क्षत्रिय भवन, प्रताप सभागार में महाराणा प्रताप की अश्वारोही प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जातीय संगठनों को जाति विशेष का संगठन बनने की बजाय सामाजिक संगठन बनकर समाज व देश को एकजुट करने के लिए समाज की कुरीतियों, विकृतियों को दूर करने का बीड़ा उठाना होगा। इस कार्य के लिए महाराणा प्रताप आदर्श रूप में हैं जिन्होंने भील, मीणा, थारू जनजातियों को साथ जोड़कर स्वदेश व स्वधर्म के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। देश व धर्म के लिए महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह व ऐसे ही अनगिनत नायकों के बलिदान की प्रेरणा से नई पीढ़ी को दीक्षित करने की जरूरत है। राष्ट्रनायकों की प्रेरणा से समाज को एकजुट किया जा सकता है।

देश व समाज के लिए जातीय भेदभाव महापाप

सीएम ने कहा कि देश व समाज के लिए जातीय भेदभाव, छुआछूत व अश्पृश्यता महापाप है। ये वे कारण हैं जिनसे स्वदेश व स्वधर्म पर संकट आए, देश गुलाम हुआ, धर्मस्थल नष्ट हुए। स्वदेश व स्वधर्म की रक्षा के लिए आज राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप के त्याग व बलिदान से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। देश व समाज की एकजुटता के लिए जातीय भेदभाव, अश्पृश्यता को तिलांजलि देना हम सबका दायित्य होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कोई भी संगठन जातिवाद के लिए काम करने की बजाय समाज से बाल विवाह, शराबखोरी व बालक-बालिका में भेदभाव जैसी विकृतियों को दूर करने के लिए काम करने वाला होना चाहिए। यही महाराणा प्रताप के बलिदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का माध्यम भी होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप का त्याग व बलिदान राज्य, जाति या परिवार के लिए नहीं था बल्कि देश व धर्म के लिए था। संधि के लिए अकबर द्वारा भेजे गए राजा के साथ उन्होंने इसीलिए भोजन करने से मना कर दिया कि उन्हें देश के प्रति स्वाभिमान से समझौता करना गंवारा नहीं था। स्वदेश व स्वधर्म की लड़ाई में उन्होंने तमाम दुर्ग व किले वापस जीतकर सनातन धर्म व भारत का स्वाभिमान बढ़ाया। इस लड़ाई में उनकी सेना, उनके घोड़े चेतक, भामाशाह, सेनापति पूंजा, भील तथा मीणा जनजातीय समाज का योगदान था।

सीएम ने कहा कि जातीय संगठनों को यह दायित्व निभाना होगा कि वह सामाजिक चेतना जागृत करते हुए गरीबों वंचितों के कल्याण के कार्यक्रमों से जुड़ें। उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ दिलाएं। गरीब बच्चों के लिए छात्रावास व शिक्षा की व्यवस्था करें। महाराणा प्रताप की स्मृतियों से जुड़े लोगों को जोड़ने, जनजाति पीड़ा के साथ खड़े होना और उनके उत्थान की लड़ाई में साथ देना हम सबका दायित्व होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सामाजिक व जातीय संगठन भीड़ का हिस्सा न बने बल्कि कुछ नयापन लाने का प्रयास करें। इसके लिए उन्होंने गरीब बच्चों के शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नया करने, महाराणा प्रताप, शहीद बंधु सिंह, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े विषयों पर शोध के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने, लोक परंपराओं को संजोने, प्राचीन ताम्रपत्रों व भोजपत्रों के संकलन,गरीब बच्चों के लिए प्रतियोगी परीक्षा, स्पोर्ट्स आदि में मदद करने का भी सुझाव दिया।

 उन्होंने अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज द्वारा बनवाए गए प्रताप आश्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संगठन भी शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा आवासीय मंच दे सकता है। आज आप जिन लोगों के साथ खड़े होंगे, उनमें से ही कोई आगे चलकर भामाशाह, पूंजा सेनापति, भील-मीणा सरदार के रूप में आपके साथ खड़ा होता दिखाई देगा।

सांसद रविकिशन शुक्ल ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातनी विचारों व हिंदुवा सूर्य महाराणा प्रताप के आदर्शों के संवाहक हैं। योगी जी में समाज व देश के लिए राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप जैसा तेज व समर्पण दिखाई देता है। संचालन दिनेश सिंह सारथी व आभार ज्ञापन केआइपीएम गीडा के चेयरमैन आरडी सिंह ने किया।

इस दौरान अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के जिला मंत्री राधेश्याम चंद, महापौर डा.मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, एमएलसी डा.धर्मेंद्र सिंह, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास, महंत जयबख्श दास, डा.एससी कौशिक, रामदेव सिंह, शिवेंद्र विक्रम सिंह, रणंजय सिंह, ओमप्रकाश सिंह तथा डा. विभ्राट चंद कौशिक मौजूद रहे।


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