सेवा निकेतन के स्पाइनल-ऑर्थो स्वास्थ्य शिविर में आए साढ़े चार सौ रोगी
फाइल फोटो


लखनऊ, 5 अगस्त। दिव्यांगजन व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए काम कर रही संस्था सेवा निकेतन आश्रम के स्थानीय केंद्र द्वारा आज शनिवार को स्पाइनल-ऑर्थो स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। निजामपुर मल्हौर एमिटी यूनिवर्सिटी रोड स्थित एमएमसी हॉस्पिटल में दिल्ली के प्रसिद्ध स्पाइनल सर्जन डॉ.के.दास, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.सुरभित रस्तोगी और अन्य स्पाइनल व ऑर्थो विशेषज्ञ निःशुल्क परामर्श दिया गया। शिविर में करीब 450 लोगों ने पंजीकरण कराया। इसमें दिव्यांग्जन की संख्या भी शामिल है।
शिविर आयोजक व दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता सेवा.स्क्वाड्रन लीडर अभय प्रताप सिंह ने बताया कि आने वाले मरीजों की तादाद देखते हुए शिविर को कल रविवार तक के लिए बढ़ा दिया गया है। 



भारत में रीढ़ सम्बन्धी रोगों का परामर्श व उपचार काफ़ी महँगा है। ऐसे में आम आदमी उपचार से समझौता न करे, इसी को ध्यान में रखते हुए सेवा निकेतन आश्रम ने लखनऊ में निशुल्क परामर्श की व्यवस्था की गयी आम जन को अपने उपचार के लिये सही दिशा मिल सके। 

शिविर कल भी सवेरे 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा।शिविर में 25 वर्षों का अमूल्य अनुभव रखने वाले स्पाइन सर्जन डॉ.के दास, 16 वर्ष का अनुभव रखने वाले हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.सुरभित रस्तोगी, दो दशकों के अनुभवी डॉ. वीरेंद्र विक्रम सिंह, दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण विशेषज्ञ शिवजीत सिंह राघव और ढाई दशकों के तजुर्बेकार प्रोस्थेटिक्स और ऑर्थोटिक्स विशेषज्ञ कौशल किशोर ने  परामर्श दिया। दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण विशेषज्ञ शिवजीत सिंह राघव अपनी दिव्यांगता के कारण पिछ्ले 42 वर्षों से व्हीलचेयर पर होने के बावजूद भी सैकड़ों दिव्यांगजनों को आम जीवन जीने का प्रशिक्षण दे चुके हैं। 

ग्रमीण क्षेत्रों से आये हुए कई मरीजों ने बताया की सभी डॉक्टर दिल्ली मुंबई जैसी जगह पर विशेषज्ञों से परामर्श लेने के लिये बोलते थे परंतु पैसे की कमी के कारण कभी सही इलाज नही करवा पाये। इस शिविर के मध्यम से दिल्ली के मशहूर स्पाइनल सर्जन से नि:शुल्क परामर्श देने का मौका मिला। गोपालगंज बिहार से आये सतेन्द्र ने बताया कि महीनों से कमर में दर्द की परेशानी की यहां आकर सही सलाह से सही इलाज की जानकारी हुई। 

लेट्स गिव होप फाउंडेशन के अध्यक्ष अशीष मौर्य ने बताया कि ग्रामीण अंचल के सतेंद्र जैसे बहुत से लोग जानकारी के अभाव में दर्द और परेशानियां सहते हैं, ऐसे शिविर में उन्हें  सहज ही सलाह उपलब्ध हो जाती हैं। 


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