सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 16 अगस्त को फिर से होंगे कन्नौज की शरण में ......
फाइल फोटो


लोकसभा चुनाव के अखाड़े में सियासी कुश्ती का तानाबाना बुनने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 16 अगस्त को फिर कन्नौज की शरण में होंगे। तिर्वा क्षेत्र में बंद पड़े काऊ मिल्क प्लांट से ठठिया की विशिष्ट आलू मंडी तक विकास-रोजगार यात्रा पर निकलेंगे।

वह विकास और रोजगार के बहाने भाजपा सरकार को तो घेरेंगे ही, साथ में स्वयं, पत्नी डिंपल यादव या परिवार के किसी सदस्य को यहां से चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर सकते हैं। यात्रा के पीछे आसपास के औरैया, इटावा, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, हरदोई, मैनपुरी समेत एक दर्जन जिलों में फिर से पैठ बनाने की मंशा भी दिख रही है।

सपा के गढ़ में भाजपा का कब्जा

कन्नौज लोकसभा सीट के साथ पांचों विधानसभा क्षेत्रों कन्नौज, तिर्वा, छिबरामऊ, बिधूना व रसूलाबाद में भाजपा ही काबिज है। यह कभी सपाई गढ़ हुआ करते थे। कन्नौज से सांसद रह चुके अखिलेश के बाद पत्नी डिंपल ने यहां से जीत दर्ज की थी। 2019 में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गईं।

अखिलेश ने कन्नौज में सक्रियता बढ़ाई और कई बार संकेत दिए कि वह यहां से दोबारा चुनाव लड़ सकते हैं। अखिलेश कहते रहे हैं कि कन्नौज में जो उन्होंने बनवाया वह भाजपा सरकार में चौपट हो गया। इसीलिए 16 अगस्त को विकास-रोजगार यात्रा की शुरुआत के लिए उन्होंने सपा सरकार में उमर्दा के बढ़नपुर वीरहार में बने प्रदेश के इकलौते काऊ मिल्क प्लांट को चुना है। यहां वह जनसभा को संबोधित करेंगे।

140 करोड़ की कीमत से बना था काऊ प्लांट

अखिलेश ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में 2016 में 140 करोड़ रुपये से एक लाख लीटर क्षमता का काऊ मिल्क प्लांट बनवाने की शुरुआत की थी। प्लांट बनते-बनते उनकी सरकार चली गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में वर्चुअल तरीके से इसका उद्घाटन किया था। हालांकि यह चल नहीं पाया।

यात्रा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ठठिया में बनी विशिष्ट आलू मंडी तक जाएगी। यहां अंतरराष्ट्रीय परफ्यूम पार्क भी है। ये स्थान विकसित तो हुए, लेकिन इनका कोई खास लाभ नहीं मिल पाया। तिर्वा स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग संस्थान व कैंसर अस्पताल भी चालू नहीं हो सके हैं।

किसानों और युवाओं को रिझाने का प्रयास

रणनीतिकार मानते हैं कि अखिलेश काऊ मिल्क प्लांट के जरिये गोवंशीय की दुर्दशा और आलू मंडी का मुद्दा उठाकर किसानों और युवाओं को अपने पाले में खींचने का प्रयास करेंगे। सपा जिलाध्यक्ष कलीम खान कहते हैं, मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश की छवि विकासवादी बनी थी।


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