समय पर इलाज न होने के चलते जा सकती है आंखों की रोशनी
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आंखों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर हमारी देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वैसे अगर आप नहीं जानते, तो आपको बता दें कि आंखों की ज्यादातर बीमारी रेटिना में किसी भी तरह की खराबी की वजह से होती है। रेटिना हमारी आंखों के पीछे अंदरूनी हिस्से में मौजूद एक नाजुक परत है। बदलती लाइफस्टाइल और हेल्थ की अनदेखी से रेटिना और आंखों से जुड़ी बीमारियों का भी खतरा लगातार बढ़ रहा है।

रेटिना 

रेटिना हमारी आंख के पीछे अंदरूनी हिस्से में मौजूद एक परत होती है, जो कैमरे की फिल्म की तरह काम करती है। इसमें बहुत सारी फोटोरिसेप्टर कोशिकाएं होती हैं, जो प्रकाश किरणों को इकट्टा कर मस्तिष्क तक भेजती हैं। मस्तिष्क इसे एक छवि की तरह समझता है और इसी तरह हम चीजों को देखते हैं।

आंखों की बहुत सी गंभीर बीमारियां रेटिना में खराबी के कारण होती हैं। मधुमेह, सेंट्रल होल और उम्र से संबंधित रेटिनल डिजनरेशन जैसी बीमारियां रेटिनल कोशिकाओं पर प्रभाव डालती हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं और अंधेपन का कारण बनती हैं। कई बीमारियों की वजह से सेंट्रल रेटिना में सूजन आ जाती है जिसे मैक्यूलर एडिमा कहा जाता है।

मैक्यूलर एडिमा

हमारे रेटिना के मध्य भाग को मैक्युला कहा जाता है। ज्यादातर फोटोरिसेप्टर मैक्युला में ही होते हैं। मैक्युला के कारण ही हम पास और दूर की चीज़ों को अच्छी तरह देख पाते हैं। अगर किसी वजह से इस हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाए या सूजन आ जाए, तो आंखों को नुकसान पहुंचता है। कभी-कभी मैक्युला में ब्लड भी जमा हो सकता है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो ये सभी मैकुलर रोग आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मैकुलर रोग के लक्षण 


  • पढ़ने में कठिनाई
  • धुंधलापन
  • देखने में कठिनाई होना

वैसे तेज रोशनी में देखने में दिक्कत होना भी मैक्यूलर बीमारी का लक्षण हो सकता है। कई बार मैक्यूलर रोग बिना लक्षण वाला भी हो सकता है।

मैक्यूलर रोग के कारण

मैक्यूलर रोगों के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। मैक्यूलर एडिमा का सबसे आम कारण मधुमेह (डायबिटीज) है। मैक्यूलर रोग उन लोगों को भी हो सकता है जिनकी फैमिली में भी पहले किसी को आंखों से जुड़ी समस्या रही हो।

इसके अलावा निम्नलिखित कारणों से भी मैक्यूलर रोग हो सकता है।

  • आंख में चोट
  • ट्यूमर 
  • रेडिएशन इफेक्ट.
  • आनुवंशिक विकार
  • मोतियाबिंद या ग्लूकोमा सर्जरी के बाद सूजन

रेटिना का इलाज 

अगर किसी को मैक्यूलर रोग हो जाता है, तो फ्यूचर में होने वाली समस्याओं से बचने के लिए इसका तुरंत इलाज कराना जरूरी है। मैक्युला में असामान्य ब्लड वेसेल्स का इलाज किया जाता है। मैक्युलर का इलाज या तो इंजेक्शन या लेजर या रेटिना सर्जरी द्वारा किया जाता है। मैक्यूलर एडिमा के लिए प्रचलित सबसे आम उपचार इंट्राविट्रियल इंजेक्शन है। अन्य दूसरे उपचार के बारे में जानेंगे। 

इंट्राविट्रियल इंजेक्शन
इंट्राविट्रियल इंजेक्शन टॉपिकल एनेस्थीसिया के तहत आंख के सफेद हिस्से के माध्यम से लगाया जाता है। यह सलाह दी जाती है कि आप किसी प्रशिक्षित रेटिना विशेषज्ञ से इंट्राविट्रियल इंजेक्शन लगवाएं, जिन्हें मैक्यूलर रोग की अच्छी तरह से जानकारी होती है। अगर आपको मैक्यूलर रोग के साथ-साथ मोतियाबिंद या ग्लूकोमा भी है, तो इसका इलाज एक साथ या रेटिनल रोग ठीक होने के बाद किया जा सकता है।

फोकल लेजर ट्रीटमेंट

इस उपचार में ब्लड वेसेल्स के फोकल लीक को बहुत हल्के लेजर बर्न द्वारा सील कर दिया जाता है। ये एक सेफ ट्रीटमेंट माना जाता है। 

विट्रोक्टोमी सर्जरी

मैक्यूलर रोगों के लिए की जाने वाली माइनर सर्जरी को विट्रोक्टोमी कहा जाता है। इस सर्जरी में आंख के सफेद हिस्से में तीन छोटे छेद करके विट्रियस जेली को हटा दिया जाता है। इसके बाद सर्जन अलग-अलग झिल्लियों को हटाकर और लेजर ट्रीटमेंट से मैक्यूलर रोग को ठीक करते हैं। विट्रोक्टोमी सर्जरी पहले की तुलना में अब ज्यादा सेफ है और अगर समय पर ट्रीटमेंट करा लिया जाए, तो अक्सर अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।


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