बिलकिस बानो केस : सुप्रीम कोर्ट का दोषियों की समय से पहले रिहाई मामले पर फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम छूट की नीति पर सवाल नहीं उठा रहे हैं बल्कि केवल इन लोगों को दी गई छूट पर सवाल उठा रहे हैं। 

कोर्ट ने कहा था कि हम दूसरे सवाल पर हैं कि छूट देना सही है या नहीं। हम छूट की सर्वमान्य अवधारणा को समझते हैं लेकिन हम पहली बार छूट के मामले से नहीं निपट रहे हैं। कोर्ट ने 24 अगस्त को गुजरात सरकार से पूछा था कि दोषियों की रिहाई पर प्राधिकरण ने स्वतंत्र विवेक का इस्तेमाल कैसे किया। आखिरकार प्राधिकरण कैसे रिहाई देने की सहमति पर पहुंचा। 

कोर्ट ने 17 अगस्त को गुजरात सरकार से सख्त लहजे में पूछा था कि रिहाई की इस नीति का फायदा सिर्फ बिलकिस के गुनाहगारों को ही क्यों दिया गया। जेल कैदियों से भरी पड़ी है। बाकी दोषियों को ऐसे सुधार का मौका क्यों नहीं दिया गया। कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था कि नई नीति के तहत कितने दोषियों की रिहाई हुई। 

कोर्ट ने पूछा था कि बिलकिस के दोषियों के लिए एडवाइजरी कमेटी किस आधार पर बनी। कोर्ट ने पूछा था कि जब गोधरा की कोर्ट में मुकदमा नहीं चला, तो वहां के जज से राय क्यों मांगी गई।  बिलकिस की ओर से 9 अगस्त को कहा गया था कि नियमों के तहत उन्हें दोषी ठहराने वाले जज से राय लेनी होती है, जिसमें महाराष्ट्र के दोषी ठहराने वाले जज ने कहा था कि दोषियों को छूट नहीं दी जानी चाहिए। दिसंबर, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई से जुड़े मामले में दायर बिलकिस की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। 

बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका में मांग की गई थी कि 13 मई, 2022 के आदेश पर दोबारा विचार किया जाए। 13 मई, 2022 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। इसी आधार पर 11 दोषियों की रिहाई हुई है।

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