लकवा के एक प्रतिशत से भी कम मरीजों को मिल पाती है क्लाट बस्टर दवा
फाइल फोटो


देश में हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति लकवा (स्ट्रोक) से पीड़ित होता है और हर चार मिनट में इस बीमारी के कारण एक मरीज की जान चली जाती है। धूपमान, शराब, खराब खानपान, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के कारण कम उम्र में लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।

लेकिन चिंताजनक यह है कि नसों में ब्लाकेज के कारण लकवा से पीड़ित 99 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता। डाक्टर बताते हैं कि लकवा होने पर करीब आधा प्रतिशत मरीजों को ही मस्तिष्क की नसों में हुई ब्लाकेज दूर करने की दवा मिल पाती है। बाकी मरीज इससे वंचित रह जाते हैं। इस वजह से यह बीमारी घातक साबित होती है।

जिला स्तर के अस्पतालों में सुविधाओं की कमी और जागरूकता का अभाव इस बीमारी के इलाज में आड़े आती है। एम्स के न्यूरोलाजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और एमेरिटस प्रोफेसर डा. कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि नसों में ब्लाकेज के कारण लकवा होने पर यदि साढ़े चार घंटे के अंदर ब्लाकेज दूर करने का इंजेक्शन मरीज को दिया जाए तो इलाज का परिणाम बेहतर होता है।

जागरूकता के अभाव में लकवा होने पर लोग मरीज को छोटे अस्पतालों में ले जाते हैं। दूर दराज के इलाकों में झोलाछाप के पास मरीज को ले जाते हैं। जब तक मरीज लकवा के इलाज की सुविधा से युक्त अस्पतालों में पहुंचते हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है। 

देश में करीब दस लाख मरीजों को मस्तिष्क की नसों में ब्लाकेज होने के कारण लकवा होता है। जिसमें मुश्किल से करीब पांच हजार मरीजों को ही क्लाट बस्टर दवा मिल पाती है। यह दवा देने के लिए अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन होना आवश्यक है। केरल व कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी जगहों पर ज्यादातर जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन की सुविधा नहीं होती और मेडिकल कालेजों से जुड़े अस्पतालों में बहुत कम मरीज पहुंच पाते हैं।

इसी माह एम्स से स्वैच्छिक इस्तीफा देकर पारस अस्पताल का दामन थामने वाली एम्स के न्यूरोलाजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॅा.एमवी पद्मा ने कहा कि युवाओं में लकवा की बीमारी बढ़ी है। इस बीमारी से पीड़ित करीब एक चौथाई मरीज 45 से कम उम्र के मरीज होते हैं। हाल के समय में ऐसे अध्ययन सामने आए हैं जिसमें पाया गया है कि प्रदूषण भी इस बीमारी का कारण बन रहा है। लकवा के जल्दी इलाज के लिए हिमाचल प्रदेश और कुछ राज्यों में जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीनें लगाने की पहल की गई है लेकिन अभी काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।

ब्लड प्रेशर नियंत्रित कर लकवा की रोकथाम संभव

डॅा.कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण ब्लड प्रेशर है। यहां हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित 70-80 प्रतिशत मरीज अपना ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं रखते। अमेरिका, नीदरलैंड जैसे विकसित देशों ने ब्लड प्रेशर की बीमारी कर स्ट्रोक के मामले को बहुत कम कर लिया है। यदि यहां भी लोग अपना ब्लड प्रेशर, डायबिटीज नियंत्रित रखें तो लकवा के मामले कम किए जा सकते हैं।  


अधिक सेहत/एजुकेशन की खबरें