डेंगू का स्ट्र्रन-2 तेजी से फैल रहा हैं जानें - वजह
फाइल फोटो


दिल्ली, यूपी, बिहार, जम्मू में इस बार अक्तूबर माह में भी डेंगू के रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं। दिल्ली के राज्यपाल वी.के सक्सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा है कि तापमान में गिरावट के बावजूद दिल्ली में डेंगू के बढ़ते मामले और अस्पतालों में भर्ती होने वालों के आंकड़े चिंताजनक हैं। वहीं बिहार में डेंगू ने बीते तीन वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है। इस वर्ष राज्य में डेंगू के अब तक 15 हजार मरीज मिल चुके हैं। इसमें सर्वाधिक 6084 मरीज अक्टूबर में मिले हैं। इसकी तुलना में सितंबर के शुरुआती 20 दिनों में डेंगू के मरीजों की संख्या सिर्फ 3187 थी। कमोबेश जम्मू, नागालैंड जैसे राज्यों में यही हालात हैं। शोधकर्ताओं और चिकित्सकों का मानना है कि बीते कुछ सालों में क्लाइमेट चेंज, तापमान में देर से गिरावट होने, अनियमित बारिश की वजह से डेंगू के संक्रमण काल की अवधि तीन माह से बढ़ गई है। अब यह करीब चार से साढ़े चार माह तक रहने लगा है।

ICMR सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर क्लाइमेट चेंज एंड वेक्टर बॉर्न डिजीज के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर रह चुके डॉक्टर रमेश धीमान कहते हैं कि इस साल बारिश कम हुई इसके बावजूद डेंगू के अनेक मामले देखने में आ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह है कि डेंगू फैलाने वाला मच्छर यहां वहां पड़े कचरे, नारियल के खोल, या ऐसी कोई भी जगह जहां थोड़ा बहुत भी पानी जमा हो वहां पनप सकता है। इस मच्छरे के अंडे काफी लम्बे समय तक किसी जगह पर पड़े रह सकते हैं और पानी मिलने पर इनमें से मच्छर निकलने लगते हैं। मलेरिया के मच्छर की रोकथाम आसान है लेकिन डेंगू के मच्छर पर लगाम लगाना काफी मुश्किल है। मच्छर पर नियंत्रण इस लिए भी मुश्किल है क्योंकि ये एक जगह से उड़ कर किसी ऐसी जगह पर जा सकते हैं जहां पहले से कहीं पानी जमा न हो। डेंगू के चार स्ट्रेन हैं। इन्हीं चारों में से कोई न कोई स्ट्रेन अलग अलग इलाकों में फैलता है।

ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल के जनरल फिजिशियन डा. श्रेय श्रीवास्तव कहते हैं कि अक्टूबर के अंत में भी रोजाना 60 फीसदी मामले डेंगू बुखार के आ रहे हैं। डेंगू के मामलों में वृद्धि के पीछे का कारण इस साल बारिश की अनियमितता हो सकती है। लोगों द्वारा अपने घरों में मच्छरों का प्रजनन रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाना भी बड़ा कारण है।

क्लाइमेट चेंज भी डेंगू फैलने का बड़ा कारण

आईआईएससी के वैज्ञानिक डा. राहुल रॉय कहते हैं कि क्लाइमेट चेंज भी डेंगू फैलने की वजहों में से एक है। इसका बड़ा उदाहरण यह है कि फ्रांस, इटली, तुर्की जैसे देशों में पहले डेंगू के मामले नहीं थे, लेकिन अब वहां मामले बढ़ रहे हैं। वे बताते हैं कि बीते कुछ सालों में अक्तूबर में डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह भी क्लाइमेट चेंज है। जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में मच्छरों के पैदा होने के लिए अनुकूल स्थिति बन रही है। मौजूदा समय में मच्छरों का कहर बारिश से शुरू होकर अक्तूबर तक चलता है।

डेंगू का स्ट्र्रन-2 तेजी से फैल रहा

डा. श्रेय श्रीवास्तव कहते हैं कि डेंगू का स्ट्रैन-2 (DENV-2) तेजी से फैल रहा है। वह बताते हैं कि कई रिपोर्ट इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि दिल्ली-एनसीआर में प्राप्त नमूनों में से लगभग एक तिहाई में डेंगू वायरस का डी2 स्ट्रेन है। यह अन्य स्ट्रेन- DENV-1, DENV-3 और DENV-4 की तुलना में कहीं अधिक गंभीर और खतरनाक है।

बेंगलुरू आईआईएसी के शोधकर्ताओं ने भारत में डेंगू के 408 जेनेटिक सिक्वेंस की पड़ताल की। उन्होंने 1956 से 2018 तक का डाटा एकत्र किया है। शोधकर्ता डा. राहुल रॉय के अनुसार, हमने देखा कि क्रम बड़े जटिल तरीके से बदल रहे हैं। साल 2012 तक भारत में डेंगू 1 और 3 स्ट्रेन हावी था। लेकिन हाल के सालों में पूरे देश में डेंगू 2 स्ट्रेन तेजी से फैल रहा है। वहीं डेंगू 4 स्ट्रेन जो कभी कम संक्रामक माना जाता था वह अब दक्षिण भारत में अपनी जगह बना रहा है। अभी इस बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन शोधकर्ता रॉय कहते हैं कि यह भारतीय परिस्थितियों में अधिक फैल सकता है। आईआईएससी बेंगलुरु में रसायन अभियांत्रिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर राहुल रॉय ने कहा, ‘हम यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि भारतीय स्वरूप (डेंगू वायरस के) कितने अलग हैं और हमने पाया कि वे टीके विकसित करने के लिए इस्तेमाल किए गए मूल स्वरूपों से बहुत अलग हैं।"

ठंडी जगहों पर भी बढ़ रहा डेंगू

आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च के वैज्ञानिक रहे रमेश सी धीमान ने बातचीत में बताया कि गर्म मौसम में मच्छर तेजी से प्रजनन करते हैं और उनका जीवन चक्र भी तेज हो जाता है। वो जल्द अंडे से व्यस्क मच्छर बन जाते हैं और जल्द मर जाते हैं। वहीं ठंड होने पर इनका जीवन चक्र सुस्त हो जाता है। पिछले कुछ सालों में पहाड़ों में तापमान बढ़ा है। साल के अलग अलग समय में तापमान में दो से तीन डिग्री तक का अंतर आ चुका है। ऐसे में पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि उत्तराखंड के जिन हिस्सों में पहले मलेरिया नहीं होता था वहां से मलेरिया के मरीज आने लगे हैं। हिमाचल के कुछ हिस्सों में डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं। पहले यहां लोगों को डेंगू नहीं होता था। ये जलवायु परिवर्तन का असर है। यदि जल्द इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर हिमालय के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों की सेहत पर दिखेगा।

1996 के बाद तेजी से फैल रहा डेंगू

1996 में जहां सिर्फ सात राज्यों में ही डेंगू के मामले हुआ करते थे, 2022 आते-आते 35 राज्यों में डेंगू के मामले पहुंच चुके हैं। बिहार, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर में भी डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। 2010 के बाद बिहार और ओडिशा में डेंगू के मामले में बढ़ोतरी चिंताजनक तरीके से हुई है। वहीं डेंगू के मामलों के बढ़ने के साथ-साथ डेंगू के स्ट्रेन में भी बदलाव हुआ है। 2012 तक डेंगू के स्ट्रेन 1 और स्ट्रेन 3 का जोर ज्यादा था तो उसके बाद स्ट्रेन 2 और स्ट्रेन 4 के डंक ने भी लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाया।

ट्रेवलिंग भी एक वजह

रॉय बताते हैं कि ट्रेवलिंग की वजह से भी कुछ राज्यों और दुनिया के देशों में डेंगू का वायरस फैला। वह कहते हैं कि जब डेंगू के वायरस से पीड़ित कोई व्यक्ति यात्रा करता है तो वह उस स्थान पर पहुंचकर वायरस के प्रसार का कैरियर बन जाता है।

डेंगू के चार प्रमुख वेरिएंट

डेंगू वायरस की चार व्यापक श्रेणियां ‘सीरोटाइप- (डेंगू 1, 2, 3 और 4)’ हैं। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, 2012 तक भारत में ‘डेंगू 1 और 3’ प्रमुख स्वरूप थे। हालांकि, हाल के वर्षों में ‘ डेंगू 2’ पूरे देश में अधिक प्रभावी हो गया है, जबकि कभी सबसे कम संक्रामक माना जाने वाला ‘डेंगू 4’ अब दक्षिण भारत में अपनी जगह बना रहा है। रॉय कहते हैं कि डेंगू के वेरिएंट को आप सीधे भाषा में बहुरुपिया मान सकते हैं। इसमें हर वेरिएंट दूसरे की तरह दिखने की कोशिश करता है।

डेंगू के मामलों में आठ गुना से ज्यादा वृद्धि- विश्व स्वास्थ्य संगठन

हर साल दुनिया की लगभग आधी आबादी डेंगू के खतरे का सामना करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले दो दशक में डेंगू के मामलों में 8 गुने से ज्यादा की वृद्धि देखी गई है। डब्लूएचओ ने डेंगू को दुनिया के 10 सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों की सूची में रखा है।

जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ता तापमान संक्रामक रोगों को बढ़ावा देता है। पिछले 4 दशकों में संयुक्त वैश्विक प्रयासों ने पूरी दुनिया में मलेरिया के मामलों को कम किया है, लेकिन अन्य वेक्टर जनित बीमारियों, विशेष रूप से डेंगू से होने वाली मौतें बढ़ी हैं। हाल ही में, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य 2019 पर लैंसेट ने अपनी स्टडी रिपोर्ट में खुलासा किया कि पिछले कुछ वर्षों में मच्छरों द्वारा होने वाले रोगों (मलेरिया और डेंगू) में वृद्धि हुई है। 

अध्ययनों से पता चलता है कि दक्षिण एशिया के ऊंचे पहाड़ों में ज्यादा बारिश और बढ़ते तापमान के चलते संक्रामक बीमारियां तेजी से फैली हैं। ज्यादा बारिश के चलते इन पहाड़ी इलाकों मे मच्छरों को प्रजनन में मदद मिली है। साथ ही बढ़ता तापमान इनके जीवन चक्र को तेज कर देता है। पर्यावरणीय कारक जैसे ऊंचे पहाड़ों में तापमान में असमान वृद्धि, कम बर्फबारी, अत्यधिक मौसम की घटनाएं जैसे भारी वर्षा, पहाड़ी ढलानों में कृषि और कृषि गतिविधियों में वृद्धि, और लोगों की पहुंच और गतिशीलता में वृद्धि एचकेएच (हिंदुकुश क्षेत्र) क्षेत्र में पहले से काफी अधिक बढ़ गए हैं। पिछले कुछ दशकों में एचकेएच क्षेत्र में देखे गए इन परिवर्तनों से संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ा है।


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