समाचार पत्रों और आईना दिखाती पत्रकारिता पर रहती है पैनी नजर --
फाइल फोटो


लखनऊ,  उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग प्रदेश का एक बहुत बड़ा  महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है क्योंकि यह विभाग प्रदेश के समस्त मीडिया संस्थानों, पत्रकारों को साथ लेकर प्रदेश में सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यो एवं उनकी जन कल्याणकारी योजनाओं को मीडिया के विभिन्न  माध्यम से प्रदेश के जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करता है। ऐसे प्रमुख विभाग का मुखिया और निदेशक होना गौरव की बात है। 

निदेशक शिशिर सिंह इस जिम्मेदारी को  लगभग 4 वर्षों से बखूबी निभा रहे हैं। जोकि प्रदेश के विभागीय कर्मचारियों, पत्रकारों और मीडिया के कार्यो की समुचित समीक्षा करते हुए। प्रदेश को अग्रिम पंक्ति में पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं । इतने बड़े सूबे का निदेशक होने पर, अगर देखा जाए तो सभी को संतुष्ट  नहीं किया जा सकता, फिर भी शिशिर जी, प्रदेश का नेतृत्व कर इसे नई दिशा देने के लिए प्रयासरत हैं।

अगर देखा जाए तो शिशिर जी को प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी के अति विश्वसनीय अधिकारियों की श्रेणी में गिना जाता है।पत्रकारिता जगत में अति लोकप्रिय और संवेदनशील व्यक्तित्व के रूप में पहचान बना चुके शिशिर जी ने आईना के राष्ट्रीय सलाहकार एवं आईना फ्रीलांसर पत्रकार सुशील दुबे के आवास पहुंचकर पत्रकारों के प्रति सहृदयता की मिसाल  कायम की है। 

फ्रीलांसर दुबे के लिए ये कोई अहम बात नही हो सकती लेकिन ये मुलाक़ात जिस तरह सोशल मीडिया पर ट्रेंड करी और मीडिया संस्थानों में चर्चा का विषय बनने के कारण ये एक बड़ी और महत्वपूर्ण मुलाक़ात बन गयी।

बुजुर्गों का आशीर्वाद, बड़ों का साथ और छोटों के प्यार से 1989 से जो सिलसिला शुरू हुआ तो कभी रुका नहीं, समाज सेवा और आम जनमानस की नब्ज़ को टटोलने में माहिर सुशील दुबे का एक नया रूप मीडिया घरानों की डिबेट में देखने को मिलता है। 

अपने बेबाक अंदाज से समाज के हर वर्ग की बात को प्रखरता और प्रमुखता से उठाने के कारण न्यूज़ चैनल की टीआरपी सुशील दुबे के चलते बढ़ गई है और मीडिया जगत में जहां चैनल वाले टीआरपी दुबे के नाम से संबोधित करते है तो वहीं आने बेबाक और स्वतंत्र रूप से बात रखने के कारण आम जनमानस में फ्रीलान्स दुबे के नाम से प्रचलित हैं।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जिस डिबेट के प्रसारण में फ्रीलांसर दुबे बैठते हैं उसमें दर्शकों के रुझान और रूचि के कारण टीआरपी में अप्रत्याशित रूप से बढ़त दिखाई देती है। तेज़ आवाज़ या उल जलूल, बकलोली न करके आंकड़ो और जनता के दर्द को अपनी आवाज़ देने के।कारण उनके प्रतिद्वन्दी भी उनकी हाज़िरजवाबी के चलते निरुत्तर हो जाते है और इसी लोकप्रियता के चलते सूचना निदेशक इनके आवास पर गए थे।

यूं तो पद प्रतिष्ठा के साथ उसकी गरिमा को बनाए रखना, ऊंचे पद पर रहकर भी कर्मचारियों पत्रकारों एवं समाचार पत्रों और जनमानस की सेवा, सामंजस्यपूर्ण निभाना बहुत ही कम अधिकारियों में देखने को मिलता है लेकिन अपनी इसी सराहनीय शैली के लिए जाने पहचाने जाते हैं शिशिर सिंह।

उन्होंने आईना फ्रीलांसर सुशील दुबे के आवास पहुंचकर आईना दिखाती पत्रकारिता को सिर्फ सराहा ही नहीं बल्कि सम्मानित करने का कार्य भी किया है जो इस बात का द्योतक है कि समाचार पत्रों और पत्रकारों पर उनकी पैनी नजर हमेशा बनी रहती है।


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