हृदयाघात और एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) के इन लक्षणों से रहें सावधान
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लखनऊ : एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) में अनस्टेबल एंजाईना और मायोकार्डियल इन्फ़ार्क्शन जैसी अनेक समस्याएं शामिल हैं। अस्थिर एंजाइना में हृदय में रक्त और ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती है, जिससे छाती में बेचैनी या दर्द होते हैं। मेदांता, लखनऊ में हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. गणेश सेठ ने बताया, ‘‘अस्थिर एंजाईना एक चेतावनी है, जिसे नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए।’’ इसमें छाती में तेज दर्द या बेचैनी होती है, जो संकट का संकेत है। समय पर इलाज शुरू करने के लिए इन शुरुआती संकेतों को समझना बहुत जरूरी होता है।


डॉ. गणेश सेठ ने बताया कि हृदयाघात तब पड़ता है, जब हृदय की पेशियों को रक्त पहुँचाने के मार्ग में रुकावट आ जाती है। यह रुकावट मुख्यतः खून के थक्के के कारण उत्पन्न होती है। इस स्थिति में तुरंत चिकित्सा सहायता न मिल पाए, तो उसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। हृदयाघात के मुख्य लक्षणों में छाती में दर्द, साँस फूलना, और मितली होना शामिल हैं। इस स्थिति को आपात बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे मामलों में समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसलिए ऐसा कोई भी लक्षण महसूस होने पर चिकित्सा सहायता लेने में बिल्कुल भी विलंब न करें।’’


डॉ. सेठ ने कहा कि हृदय को स्वस्थ रखने के लिए रोकथाम की नीति सबसे कारगर होती है। हृदयाघात और एसीएस का जोखिम कम करने के लिए जीवनशैली में संशोधन करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि धूम्रपान न करें, वजन को न बढ़ने दें और रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल एवं मधुमेह को नियंत्रण में रखें। इसकी समय पर पहचान और रोकथाम में नियमित स्वास्थ्य जाँच का भी बड़ा महत्व है।


मरीजों को अपने जोखिमों के बारे में मालूम होना चाहिए, जिनके बारे में उन्हें अपने डॉक्टर से बात करके उनके द्वारा बताई गई चिकित्सा की दिनचर्या का पालन करना चाहिए। तनाव कम करने की विधियों द्वारा और अपने शौक के काम करके तनाव को नियंत्रित रखा जा सकता है, तथा मदिरा सेवन एवं कैफीन का सेवन कम करके हृदय को स्वस्थ रखने में काफी मदद मिलती है। हृदय के लिए फल, सब्जियों, साबुत अनाज, प्रोटीन से युक्त और कम वसा वाला आहार फायदेमंद होता है। इसके अलावा प्रतिदिन लगभग 180 मिनट की हल्की शारीरिक गतिविधि और नियमित व्यायाम भी उतना ही जरूरी है।  


यदि मरीज को चिकित्सा विशेषज्ञ ने स्टेटिन और खून को पतला करने वाली दवाईयाँ दी हैं, तो ये दवाईयाँ बिना विशेषज्ञ के निर्देश के लेना बंद नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये हृदय को किसी भी जोखिम से बचाने के लिए जरूरी होती हैं।


डॉ. सेठ ने आपात स्थिति के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा, ‘‘छाती में दर्द या एसीएस के लक्षणों की स्थिति में, तत्काल आपात चिकित्सा सहायता लें। इस मामले में पहले एक घंटे के नियम को भूलें नहीं। जो मरीज पहले एक घंटे में समय पर इलाज के लिए पहुँच जाते हैं, उन्हें इलाज के बेहतर परिणाम मिलते हैं। हृदयाघात के बाद यदि जान बच जाए, तो वह जीवन का दूसरा मौका होता है। इसलिए डॉ. सेठ ने मरीजों को स्वास्थ्य लाभ के लिए हृदय रोग पुनर्वास कार्यक्रमों की मदद लेने का सुझाव भी दिया। अपने इस सफर में उन्हें जीवनशैली में सुधार करना पड़ सकता है, लेकिन इससे उन्हें एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ने में मदद मिलती है।


अस्वीकरणः केवल जागरुकता बढ़ाने के लिए जनहित में जारी। इस लेख में दी गई सामग्री कोई भी स्वास्थ्य या चिकित्सा परामर्श प्रदान करने के लिए नहीं है। किसी भी जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।


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