महुआ मोइत्रा की बढ़ी मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा से निलंबन वाले आदेश पर रोक लगाने से इंकार
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा


नई दिल्ली : कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को सुनवाई हुई. लोकसभा से निष्कासित हो चुकीं महुआ मोइत्रा को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खन्ना ने निलंबन आदेश पर रोक लगाने और फरवरी में सुनवाई करने की अभिषेक मनु सिंघवी की दोनों अपील ठुकरा दी. बता दें कि महुआ मोइत्रा ने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसका जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच सुनवाई कर रही है.

इससे पहले महुआ मोइत्रा के वकील अभिषेक मनु सिंघी ने कहा कि महुआ को केवल अपनी लॉगिन आईडी साझा करने के कारण निष्कासित किया गया है. रिश्वत के आरोपों पर गौर करना होगा. सिंघवी ने कहा कि मैं 18 साल तक संसद का सदस्य रहा. कोई भी व्यक्ति ऑपरेट करने के लिए सिर्फ पासवर्ड नहीं दे सकता, एक ओटीपी भी सिर्फ उसके पास आती है. यहां पासवर्ड साझा करने के विरुद्ध किसी भी नियम के बिना निष्कासित कर दिया गया. जो नियम लागू हैं, वो हैकिंग से संबंधित हैं.

सिंघवी ने आगे कहा कि यह वास्तव में एक सांसद के आरोपों पर आधारित है. विरोधाभासों के बावजूद मुझे बहस करने की अनुमति नहीं मिली. उन्होंने आगे कहा कि क्या ऐसे मामूली आधार पर किसी सांसद को निकाला जा सकता है? ओटीपी को मैंने अपने नॉमिनी सदस्य को ही शेयर किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महुआ मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा के सेक्रेट्री जनरल से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है.

बता दें कि महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर को पेश की गई ‘कैश फॉर क्वेरी’ में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. महुआ मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर उपहार लेने के बदले में सवाल पूछने और उनके साथ संसद वेबसाइट की ‘लॉग इन’ आईडी और ‘पासवर्ड’ साझा करने के लिए ‘अनैतिक आचरण’ का दोषी ठहराया गया था और आठ दिसंबर 2023 को लोकसभा की उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी. उन्होंने अपने निष्कासन को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. न्यायालय मामले पर तीन जनवरी 2024 को सुनवाई करेगा.


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