चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, अजित पवार की हुई NCP, शरद पवार को झटका
अजित पवार और अजित पवार


नई दिल्‍ली : चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में चाचा भतीजे को बीच पार्टी पर हक को लेकर चल रहे विवाद में मंगलवार को बड़ा फैलसा सुनाया. चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि भतीजे अजित पवार ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और उसके चुनाव चिन्‍ह के असली हकदार हैं. शरद पवार गुट के लिए यह चुनाव आयोग से बड़ा झटका माना जा रहा है. चुनाव आयोग के समक्ष बीते छह महीने के अंदर 10 से अधिक सुनवाई के बाद अजित पवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दिया गया. अजित पवार पहले ही अपने चाचा शरद पवार की पार्टी से अलग होने के बाद महाराष्‍ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में बतौर उपमुख्‍यमंत्री शामिल हो चुके हैं.

आयोग ने दोनों गुटों द्वारा दायर समर्थन के हलफनामों की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता (अजित पवार) के नेतृत्व वाले समूह को विधायकों के बीच बहुमत का समर्थन प्राप्त है. उपरोक्त निष्कर्षों के मद्देनजर, इस आयोग का मानना है कि याचिकाकर्ता, अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और उसके चुनाव प्रतीक घटी को इलेक्‍शन सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत इस्‍तेमाल करने का हकदार है.

पार्टी किसी व्यक्ति या समूह की जागीर…
चुनाव आयोग ने अपने फैसले में कहा कि जब लोकतांत्रिक चुनावों को पार्टी में कुछ अप्‍वाइंटमेंट द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है या जब चुनाव पार्टी संविधान के प्रावधानों के विपरीत होते हैं या जब चुनाव अधिसूचनाओं, निर्वाचक मंडल, चुनाव के स्थान आदि का खुलासा किए बिना अपारदर्शी या अस्पष्ट तरीके से होते हैं, तब परिणाम यह होता है कि पार्टी किसी एक व्यक्ति या चुनिंदा व्यक्तियों के समूह की निजी जागीर बन जाती है.

तब पार्टी एक निजी उद्यम बन जाती है…
चुनाव आयोग ने स्‍पष्‍ट किया कि ऐसी स्थिति में पार्टी एक निजी उद्यम की तरह चलने लगती है. ऐसी स्थितियों से पार्टी कार्यकर्ता, जो पिरामिडीय पदानुक्रम में सबसे नीचे हैं, प्रतिनिधियों के साथ संपर्क खोने लगते हैं. शीर्ष स्तर के राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जिस पर हमारा लोकतांत्रिक शासन खड़ा है और जब यह स्तंभ कामकाज के अलोकतांत्रिक तरीके से प्रभावित होता है, तो राष्ट्रीय राजनीति में इसकी गूंज सुनाई देगी. चुनाव आयोग ने कहा कि लोकतांत्रिक आंतरिक संरचनाओं के अभाव में, अंदरुनी विवादों का बाहर आना तय है, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव आयोग द्वारा प्रतीक आदेश के तहत प्रश्न का निर्धारण किया जाएगा.

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