नई दिल्ली : इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि देश के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है. सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने कहा कि कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार (RTI) और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है. संविधान पीठ में प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ ही जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता को चुनौती दी गई थी. CJI चंद्रचूड़ ने इस मामले में फैसला पढ़ा. CJI ने कहा कि हमारे सामने सवाल था कि क्या आरटीआई के तहत राजनीतिक पार्टियों की होने वाली फंडिंग भी आएगी? CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी (संविधान पीठ) दो राय हैं, लेकिन निष्कर्ष एक ही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है?
कोर्ट के सामने दो सवाल
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अर्जियों में दो सवाल उठाए गए थे. पहला इलेक्टोरल बॉन्ड में जो संशोधन किए गए हैं वे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के अंतर्गत आने वाले सूचना का अधिकार का उल्लंघन है. दूसरा, क्या असीमित कॉरपोरेट फंडिंग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत के खिलाफ नहीं है? CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि राजनीतिक दलों को वित्तीय सपोर्ट करने से ‘लेन-देन’ की व्यवस्था पैदा होती है. इलेक्टोरल बॉन्ड एकमात्र ऐसी स्कीम नहीं है, जिससे काले धन पर रोक लगाई जा सकती है. काले धन पर रोक लगाने के लिए अन्य विकल्प भी हैं.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चुनावी बॉन्ड भी RTI के दायरे में, पार्टियों को पैसा कहां से आता है जानकारी देना जरूरी
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